‘ये कैसी जातिगत जनगणना, मेरे घर तो कोई नहीं आया?,’ रविशंकर प्रसाद ने सर्वे पर उठाए सवाल

बिहार में जातीय जनगणना को लेकर बवाल मचा हुआ है. अब इसके गोपनीय डाटा लिक होने पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं. आरोप लगाया गया है कि बिहार में सिर्फ प्रतियोगिता परिक्षाओं का पेपर ही लिक नहीं होता है, बिहार में जातीय जनगणना का गोपनीय डाटा भी लिक हो गया है. जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी करते हुए बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह ने कहा था कि जातीय जनगणना का पूरा डाटा गोपनीय है. न्यायालय ने भी इस डाटा को गोपनीय रखने का निर्देश दिया था, ताकि इसका कोई अन्य इस्तेमाल ना किया जा सके. व्यक्तिगत रूप से किसी का किसी भी तरह का डाटा सार्वजनिक ना किया जाए.

बिहार में सत्ताधारी पार्टी जदयू के पास जातीय जनगणना का पूरा व्यतिगत ब्योरा मौजूद है. हर व्यक्ति के व्यक्तिगत गोपनीय डाटा तक जदयू की पहुंच है. इसका प्रमाण खुद जदयू ने दिया है.जदयू के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा का गोपनीय डाटा जारी कर दिया है.

जातीय जनगणना को लेकर बवाल

जदयू नेता नीरज कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा का डाटा जारी करते हुए लिखा है, “माननीय उपेंद्र कुशवाहा जी द्वारा जाति सर्वे पर स्वयं द्वारा लगाए गए आरोप पर प्रतिवाद करते हुए साक्ष्य के साथ वीडियो जारी, क्र.सं.- 130, मकान सं०- 079, परिवार के प्रधान- उपेन्द्र कुशवाहा, घर- 1, परिवार- 1, सदस्य- 5.

जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि जनगणना के दौरान बहुत लोग छूट गए हैं. उनकी गणना हुई ही नहीं है. इसके जवाब में जदयू ने उपेंद्र कुशवाहा का ही व्यक्तिगत डेटा जारी कर दिया है.

जातीय जनगणना का आंकड़ा फर्जीवाड़ा: रविशंकर

दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि यह आंकड़ा पूरी तरह से फर्जीवाड़ा है. पटना के सांसद रविशंकर प्रसाद से जातीय जनगणना के दौरान कोई जानकारी नहीं ली गई. नीतीश कुमार ने कहा कि जातीय जनगणना जानबूझकर अपनी विरोधी जातियों का आंकड़ा जानबूझकर कम दिखाया है.अतिपिछड़ा के आंकड़े को खंडित कर दिखाया गया है.

रविशंकर प्रसाद का दावा, “मैं अपने परिवार का मुखिया हूं और मुझसे कोई जानकारी या हस्ताक्षर नहीं लिया गया. सरकार डाटा जारी करे कि जनगणना के दौरान कितने लोगों और कितने परिवार तक उनकी पहुंच हुई. कितने लोगों का हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लिया गया.”

उन्होंने कहा, ” मुझसे ना तो मेरी जाति पूछी गई और ना ही कोई अन्य जानकारी ली गई है. मेरे समाज की संख्या को कम करने या विलोपित करने की कोशिश की गई है.” रविशंकर प्रसाद में कहा कि जनगणना का आंकड़ा बिलकुल आधा अधूरा है. मेरे घर तक कोई नहीं पहुंचा है, मैं अपने परिवार के लोगो से भी पूछ चुका हूं. कोई सर्वे के दौरान मेरा घर नहीं आया है. जातीय जनगणना का ये पूरा आंकड़ा फर्जीवाड़ा है.

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