उत्तराखंड: जिसका का प्रत्याशी बद्रीनाथ से जीतता हैं उस दल की बनती हैं सरकार

बदरीनाथ विधानसभा सीट परिसीमन के कारण वर्ष 1998 में अस्तित्व में आई। इससे पहले बदरी-केदार विधानसभा सीट थी, जिसमें रुद्रप्रयाग जनपद की केदारघाटी (मौजूदा समय में केदारनाथ क्षेत्र) भी शामिल थी। वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद बदरीनाथ सीट अस्तित्व में आई।

2009 में परिसीमन के चलते नंदप्रयाग सीट का विलय भी बदरीनाथ में हुआ। नंदप्रयाग सीट का आधा हिस्सा बदरीनाथ से जुड़ा, जिसके बाद दशोली, पोखरी और जोशीमठ विकास खंड इस सीट में शामिल हुए। गंगोत्री की तरह ही राज्य गठन के बाद इस सीट पर भी यह मिथक जुड़ गया है कि बदरीनाथ सीट से जिस भी दल का विधायक जीता, राज्य में उसी दल की सरकार चुनकर आती है। इस सीट पर जनता ने भाजपा और कांग्रेस को बारी-बारी से मौका दिया है।

अब तक के विधायक
राज्य बनने से पहले
केदार सिंह फोनिया-1991-भाजपा
केदार सिंह फोनिया-1993- (उपचुनाव) भाजपा
केदार सिंह फोनिया- 1996 – भाजपा

राज्य बनने के बाद
अनसूया प्रसाद भट्ट- 2002- कांग्रेस
केदार सिंह फोनिया- 2007- भाजपा
राजेंद्र सिंह भंडारी- 2012- कांग्रेस
महेंद्र प्रसाद भट्ट- 2017- भाजपा

कुल मतदाता- 102128
पुरुष-52626
महिला-49499
अन्य-तीन

विस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे
-जोशीमठ पैनखंडा समुदाय को केंद्र की ओबीसी सूची में दर्ज करना।
– निजमुला-पाणा-ईराणी और डुमक-कलगोठ सड़क का अधूरा निर्माण पूर्ण कराना।
– गोपेश्वर में बेस अस्पताल का निर्माण कराना।
-आपदा प्रभावित रैणी सहित 71 गांवों का पुनर्वास कराना।
– श्रीदेव सुमन विवि परिसर गोपेश्वर को सुविधा संपन्न बनाना।
– केंद्रीय विद्यालय गोपेश्वर का भवन निर्माण।
– पोखरी पॉलिटेक्निक भवन और गोपेश्वर पॉलिटेक्निक में ट्रेड की संख्या बढ़ाना।
– ग्रामीणों को वन्य जीवों से निजात दिलाना।
– अमृत गंगा पेयजल योजना पर फिल्टर की व्यवस्था कराना।

सरकार ने दूरस्थ गांवों को सड़क से जोड़ने को अपनी प्राथमिकता में रखा था, लेकिन पांच साल से झींझी, पाणा और ईराणी गांव सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। ग्रामीणों को आज भी करीब दस किलोमीटर पैदल आवाजाही करनी पड़ रही है। निजमुला घाटी, डुमक और कलगोठ गांव में सड़क के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है।
– दिनेश सिंह, ईराणी गांव

नगरीय क्षेत्रों में सड़कों की स्थिति में सुधार हुआ है। जिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ी हैं। विधायक का दूरस्थ गांवों को सड़क से जोड़ने पर फोकस रहा है, कई गांव सड़क से जुड़ गए हैं। सरकार और विधायक का पांच साल का काम सराहनीय रहा है।
– बुद्धि प्रसाद त्रिपाठी, पूर्व सैनिक

डबल इंजन की सरकार में बेहतर कार्य हुए हैं। ऑलवेदर रोड परियोजना, नगर क्षेत्रों में सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम में सुधार आया है। विधायक ने गांव-गांव में युवक और महिला मंगल दलों को सांस्कृतिक व खेल सामग्री वितरित की है। कोरोना काल में बेहतर कार्य करने वाले कोरोना वॉरियर्स को सम्मानित करने का कार्य किया। कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी विधायक ने करवाए हैं।
– विनोद रावत, व्यापारी, पीपलकोटी

भाजपा का पांच साल का कार्यकाल निराशापूर्ण रहा, महंगाई, बेरोजगारी चरम पर है। लोगों का चूल्हा जलना मुश्किल हो गया है। नौजवान बेरोजगार सड़कों पर घूम रहे हैं, सरकार घोषणाएं कर जनता को बरगला रही है, धरातल पर कुछ नहीं हो पाया है।
– कलावती देवी, गृहणी, पोखरी

जनता विकास के लिए तरस रही है। विधायक ने कोई नया काम नहीं किया है। गोपेश्वर में बेस अस्पताल, निजमुला घाटी, डुमक-कलगोठ में सड़क निर्माण सहित कई ऐसे कार्य जो 2017 तक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने शुरू किए थे, वे अभी तक अधूरे पड़े हैं। श्रीदेव सुमन विवि का गोपेश्वर परिसर यूजीसी के मानक ही पूरे नहीं कर पाया है। पोखरी में मिनी खेल स्टेडियम और दुर्मीताल के पुनर्गठन पर जनता को सिर्फ आश्वासन ही मिल पाए। जोशीमठ की जनता को आज तक केंद्र से ओबीसी का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विधायक ने सिर्फ अपने चहेतों को रोजगार और करोड़ों के काम दिलवाए, जबकि आम युवा बेरोजगारी की मार झेल रहा है।
– राजेंद्र सिंह भंडारी, पूर्व विधायक

विधानसभा के समस्त डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज में प्रवक्ताओं की नियुक्ति करवाई गई। 13 इंटर कॉलेज में एनसीसी की मान्यता दिलवाई, लॉ कॉलेज भवन निर्माण, जोशीमठ महाविद्यालय में तीन विषयों को मान्यता, पोखरी महाविद्यालय भवन निर्माण व नए विषयों की स्वीकृति दिलवाई, जिला अस्पताल गोपेश्वर में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति व सीटी स्कैन की स्वीकृति करवाई, प्रत्येक विकासखंड में नई एंबुलेंस की व्यवस्था की गई। नगरीय क्षेत्रों में बिजली की भूमिगत केबल बिछाने का काम करवाया, नीती घाटी में टिम्मरसैंण महादेव यात्रा शुरू करवाई, उर्गम क्षेत्र में कल्पेश्वर परिक्रमा मार्ग निर्माण करवाया, उर्गम घाटी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करवाया, जोशीमठ पैनखंड क्षेत्र को ओबीसी का दर्जा देने के पूर्व सरकार के शासनादेश को अमलीजामा पहनाकर लाभार्थियों को ओबीसी के प्रमाणपत्र वितरित करवाए गए। अनेक गांवों को सड़क से जोड़ना मेरी प्राथमिकता रहा है। कुछ सड़कें पूरी हो गई हैं, जबकि कई सड़कों का काम गतिमान है।

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