माँ-बेटे क्यूँ भागे ?

20 सितंबर। अब खबर यह नहीं है कि लोकसभा ने नारी वन्दन विधेयक को 454 मतों से पारित कर दिया। खबर तो यह है कि विधेयक को अपना बताने वाली सोनिया गांधी मतदान से पहले ही बिना वोट डाले क्यूँ भाग गईं ? और उनके सुपुत्र राहुल गाँधी महिला आरक्षण का नाम लेकर ऊट-पटांग तर्कों के सहारे सदन में नौटंकी क्यूँ करते रहे? जब गृहमंत्री अमित शाह राहुल की अनर्गल जुमलेबाजी का जवाब देने को खड़े हुए तो वे मैदान छोड़ कर क्यूं भाग खड़े हुए? मुख्य ख़बर अब यह भी नहीं है कि दूसरा जिन्ना बनने की जुस्तजू में लगे ओवैसी ने विधेयक के विरुद्ध वोट दिया। यह तय है कि ओवेसी की सात पुश्तें भी भारत को इस्लामी राज्य बनाने में कामयाब नहीं होंगी।

महिला आरक्षण के मुद्दे को छोड़ राहुल ने 90 सचिवों द्वारा भारत की सरकार चलाने का राग छेड़ा जबकि उन्हें पता है कि सरकार को निर्वाचित जनप्रतिनिधि चलाते हैं फिर भी उन्होंने कहा कि 90 में से सिर्फ 3 सचिव ओ.बी.सी. से आते हैं। इन बेचारों को मोदी के कुल बजट का ढाई प्रतिशत धन ही मिलता है, यानी (सचिवों के बीच बजट की धनराशि का बन्दरबांट होता हो) !

अपने असंगत भाषण में राहुल सचिवों की संख्या एक बार 70 बता गये तो किसी ने धीरे से उन्हें 90 बताने को कहा। ऐसा लगता था मानो राहुल किसी चुनावी मैदान में लटके-झटके लगा रहे हों। आरक्षण को आज ही पास करने व आज ही लागू करने की बात कह कर राहुल ने अपनी अज्ञानता अथवा जानबूझकर फूहड़‌पन दिखाने का ओछा प्रयास किया। राहुल ने यह नहीं बताया कि ये सभी सचिव कांग्रेस शासन के दौरान नियुक्त किये गए थे। यह भी नहीं बताया कि कांग्रेस शासन में सचिवालय में ब्राह्मणों-कायस्थों का दबदबा हुआ करता था। राहुल की बेहूदगी पर अध्यक्ष को उन्हें टोकना पड़ा कि वे दूसरे माननीय सदस्यों का अपमान नहीं कर सकते।

सभी जानते हैं विधेयक पहले लोकसभा से पारित होता है, फिर राज्यसभा में पेश किया जाता है, उस पर चर्चा होती है। पास होने के बाद उस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते हैं। तत्पश्चात राजकीय गजट में प्रकाशित होने के बाद देश भर में कानून बन कर लागू होता है।

राहुल गांधी संसद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर आंख मार चुके हैं, जबरदस्ती नरेन्द्र मोदी के गले पड़ चुके हैं, 3 कृषि कानून विरोधी आंदोलन के बीच वृद्ध और बीमार आंदोलनकारी किसानों की मृत्यु पर बिना अध्यक्ष की अनुमति के शोक प्रस्ताव पेश करने की गुस्ताखी भी कर चुके हैं। दो मिनट की श्रद्धांजलि की बात कहकर महज 30 सेकेंड खड़े होने के बाद कुर्सी पर धडाम से बैठने की हिमाकत भी कर चुके हैं। महिला सांसदों पर फ्लाइंग किस भी उछाल चुके हैं। ये सभी हरकतें संसद के टेलीविजन में रिकार्ड हैं, जिन्हें करोड़ों भारतवासियों ने देखा है। अपनी हरकतों से वे कौन सी नई खबर बनायेंगे, यह उन्हें ही ज्ञात होगा।

छपते-छपते: राहुल ने आज एक नई खबर बना दी। ट्रक ड्राइवर, खेत में धान रोपता किसान, भिंडी बेचता फेरीवाला बनने के बाद आज दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर कुली नंबर 756 बनकर मीडिया को खूब नचाया। मीडिया ने यह नहीं बताया कि राहुल को सूटकेस ढोने के कितने पैसे मिले हैं। क्या अगली बार रेलवे प्लेटफार्म पर चाय बेचने का ड्रामा करेंगे ?

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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