यादों के झरोखे (2)

3 अप्रैल (2024) को सूचना मिली कि शाहदरा से भरतराम जी आये हैं। पचास वर्षों से उनके साथ भातृवत संबंध हैं। उनसे जान-पहिचान एक प्रोसेस कैमरा खरीदने के संबंध में हुई। तब अखबार लेटर प्रेस तकनीक से छपता था। चित्र छापना हो तो उसका ब्लॉक बनवाना पड़‌‌ता था। ब्लाक दिल्ली से अथवा मेरठ से बनवा कर लाने पड़ते थे। दैनिक अखबार की शोभा चित्रों से होती थी तो प्रेस में अपना प्रोसेस डिपार्टमेंट स्थापित किया गया।

मुझे ज्ञात हुआ कि शाहदरा के मौजपुर में बहुत श्रेष्ठ कैमरे तथा ब्लॉक बनाने का सामान मिलता है। मामचन्द‌ व भरतराम नाम के दो भाई यह सामान बनाते हैं। उन्हीं से प्रोसेस कैमरा आदि खरीदा। पता चला कि दोनों भाई मुज़फ्फरनगर जिले की तहसील जानसठ के रहने वाले थे और कई दशकों से मौजपुर में रह रहे हैं। भरतराम का जन्म ग्राम बसायच में हुआ था। उनके बाबा कूड़ेमल रसूखदार आदमी थे जानसठ के अली ब्रदर्स परिवार के अब्दुल्ला खाँ से समीपता थी। बढ़ई का काम करते थे और अपने फ़न के माहिर थे। वे तीन जिलों के बिरादरी के प्रधान थे और रंगमंच के प्रसिद्ध कलाकार भी थे। प्रतिवर्ष जानसठ में रामलीला का मंचन कराते थे। रामलीला वाले कूड़ेमल के नाम से उनकी पहिचान थी। ब्रिटिशकाल में रायसीना हिल्स पर वायसराय हाउस (राष्ट्रपति भवन) का निर्माण चल रहा था। उनकी कारीगरी की ख्याति दूर-दूर तक थी। दिल्ली से बुलावा आया तो सन् 1921 में जानसठ से दिल्ली चले गये। राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में उनके हाथ की बनी चौखटें व दरवाज़े अब भी चमचमाते हैं। वे महात्मा गांधी के आह्वान पर जेल भी गये थे।

कूड़े‌मल जी के पौत्र मामचन्द और भरतराम दिल्ली में रह कर बढ़ई गीरी का पुश्तैनी काम करते रहे। इस बीच एक अन्य महत्वपूर्ण घटता हुई। जानसठ के प्रसिद्ध खट्टेवाल परिवार के एक सदस्य मुरलीधर शर्मा ब्लॉक मेकिंग का काम सीखने मद्रास (चेन्नई) पहुंच गये। वहां से लौट कर उन्होंने गांधीनगर दिल्ली में अपना प्लांट लगाया। जानसठ के निवासी मामचंद और भरतराम ने वहां लम्बे समय तक काम किया और बाद में मौजपुर में सन् 1955 में अपना कारखाना लगा लिया।

दोनों भाई मीठे स्वभाव के कारण प्रसिद्ध रहे। पूरे भारत में उनका प्रोसेसिंग का सामान प्रसिद्ध था। जब कभी दिल्ली में मुझे रुकने की जरूरत पड़ जाती तो उनके यहां अथवा मोहनलाल गुप्ता (पुत्र स्वर्गीय मुरारीलाल बिन्दल संपादक उत्तराखंड टाइम्स) के पास रुकता था। जहां घर जैसा वातावरण मिलता था।

भरतराम जी 90 वर्ष से ऊपर की आयु के हो चुके हैं। मिलनसार और सामाजिक हैं। भगवान राम और हनुमानजी के परम भक्त हैं। पूरी राजनीतिक उथल-पुथल के बाद भी काँग्रेस के प्रति उनकी अटूट निष्ठा है। जीवन में सैकड़ों वैवाहिक रिश्ते करा चुके हैं। मुजफ्फरनगर में उनकी रिश्तेदारी है। जब भी यहां आते हैं, मुझसे मिले बिना नहीं जाते। आज के ज़माने का हाल यह है कि मौहल्ले वाले भी आपस में हालचाल जानने से बचते हैं। नाते-रिश्तेदार किसी मतलब से ही बात करेंगे, ऐसे में 90 बरस की उम्र पार कर चुके भरतराम जी का दिल्ली से आकर मिलना और बार-बार मिलना भावविभोर कर देता है। पांच दशकों से उनका यही प्यार चल रहा है। उनका यह भाईचारा मेरी अनमोल निधि है। ईश्वर उनको स्वस्थ और दीर्घायु करे।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here