मुनाफाखोरों पर सख्ती के बाद भी नकली दवाओं और इंजेक्शनों (Fake Remdesivir Injection) का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है. पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो नकली रेमडेसिविर के इंजेक्शन बनाने और उसे बेचने का काम धड़ल्ले से कर रहे था. इंदौर और जबलपुर में मिले बेचे गए 700 रेमडेसिविर इंजेक्शनों में 660 इंजेक्शनों का हिसाब पुलिस के हाथ लग गया है. वहीं बचे हुए 40 इंजेक्शनों के बारे में पुलिस पता लगा रही है.
पुलिस इस मामले में छानबीन के लिए गुजरात के सूरत (Surat) पहुंची थी.वहां पर एक फार्म हाउस से पुलिस ने 700 फर्जी रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने में इस्तेमाल होने वाला सामान जब्त किया है. इसमें ग्लूकोज और नमक भी शामिल है. पुलिस को कुछ फूटे हुए इंजेक्शन भी वहां पर मिले. सख्ती से पूछताछ करने पर आरोपी कौशल वोरा (Accused Kaushal Vora) ने खुलासा किया है कि दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर नकली इंजेक्शन बेच कर वह सिर्फ 5 दिनों में 1 करोड़ 85 लाख रुपये कमा चुका हैं.
‘घर में पैसे होने की वजह से 2 दिन तक नहीं आई नींद’
पूरी कमाई उसके घर में ही रखी थी, जिसकी वजह से वह दो दिन तक सो भी नहीं सका था. इस बात का भी खुलासा हुआ है कि आरोपी कौशल ने अपने पार्टनर पुनीत शाह के साथ मिलकर करीब 1 लाख रेमडेसिविर के इंजेक्शन देशभर में बेचे थे. ये भी सामने आया है कि मुनाफाखोरों ने मुंबई में भी नकली इंजेक्शन बनाने का धंधा शुरू किया था.
बाजार में बेच रहा था नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन
जब भी उनको रुपयों की जरूरत होती थी वे लोग मुंबई में भी इंजेक्शन तैयार कर उन्हें बेच देते थे. इतना ही नहीं उन्होंने अपने गाड़ी के भीतर शीशियां पैक करने की मशीन भी रखी हुई थी. जरूरत पड़ने पर वह तुरंत दवा बनाकर उसे पैक करके बेच देते थे. नकली इंजेक्शन का ये कोई पहला मामला नहीं है. कोरोना के पीक के दौरान इस तरह के बहुत से मामले सामने आए थे जब ज्यादा कीमत वसूलकर भी नकली इंजेक्शन जरूरतमंदों को बेचे जा रहे थे.