भारत ने कहा -‘अरुणाचल प्रदेश हमारा अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा’

देश के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की अरुणाचल प्रदेश की हालिया यात्रा पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर भारत ने पटलवार किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि हम ऐसी टिप्पणियों को खारिज करते हैं. अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है. भारतीय नेता नियमित रूप से राज्य की यात्रा करते हैं, जैसा कि वे भारत के किसी अन्य राज्य में करते हैं.

दरअसल, लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच बीजिंग ने बुधवार को कहा कि वह उपॉराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के अरुणाचल प्रदेश जाने का ‘कड़ा विरोध’ करता है. उसने भारत से कहा कि “ऐसी कार्रवाई करना बंद करें जो सीमा मुद्दे को जटिल और विस्तारित करेगी.’

उपराष्ट्रपति नायडू बीते सप्ताह पूर्वोत्तर के दौरे पर अरुणाचल गए थे. यह पहला मौका नहीं जब भारत ने साफ जुबान में चीन को यह न बताया हो कि यह उसका अभिन्न है, लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. भारत अतीत में चीन को अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कर चुका है कि किसी भी नेता द्वारा अरुणाचल की यात्रा किसी अन्य राज्य या भारत के अभिन्न अंग की यात्रा से अलग नहीं है और पूरी तरह से उसका आंतरिक मामला है.

उपराष्ट्रपति के दौरे पर चीन का बयान

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि “सीमा मुद्दे पर चीन की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है.” उन्होंने कहा, “चीनी सरकार कभी भी भारतीय पक्ष द्वारा एकतरफा और अवैध रूप से स्थापित तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देती है, और संबंधित क्षेत्र में भारतीय नेताओं की यात्राओं का कड़ा विरोध करती है. हम भारतीय पक्ष से चीन की प्रमुख चिंताओं का ईमानदारी से सम्मान करने, सीमा मुद्दे को जटिल और विस्तारित करने वाली कोई भी कार्रवाई बंद करने और आपसी विश्वास और द्विपक्षीय संबंधों को कम करने से बचने का आग्रह करते हैं. इसके बजाय उसे चीन-भारत सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए वास्तविक ठोस कार्रवाई करनी चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत और स्थिर विकास की पटरी पर लाने में मदद करनी चाहिए.”

चीन पूर्वी क्षेत्र अरुणाचल में 90,000 वर्ग किमी तक का दावा करता है, जबकि भारत चीन को पश्चिमी क्षेत्र अक्साई चिन में 38,000 वर्ग किमी पर अवैध रूप से कब्जा करने के रूप में देखता है. पिछले सप्ताह अरुणाचल में तवांग के पास दोनों देश आमने-सामने आ गए थे, जहां कुछ चीनी सैनिकों को भारतीय सैनिकों ने हिरासत में लिया गया था.

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