जम्मू-कश्मीर के नेताओं संग बैठक के बाद अब केंद्र ने लद्दाख-कारगिल के नेताओं को बातचीत के लिए भेजा बुलावा

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर की सभी पार्टियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिल्ली में मुलाकात के बाद अब केंद्र ने आगामी एक जुलाई को कारगिल और लद्दाख के सभी दलों एवं सिविल सोसायटी सदस्यों को न्योता दिया है. पूर्व सांसदों और सिविल सोसायटी के सदस्यों को भी इस मुलाकात के लिए निमंत्रण भेजा गया है. यह बैठक केंद्रीय राज्य गृह मंत्री जी. किशन रेड्डी की अगुवाई में उनके आवास पर 1 जुलाई को सुबह 11 बजे होगी.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 24 जून को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित आठ विभिन्न दलों के 14 नेताओं के साथ चली करीब साढ़े तीन घंटे की सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें अधिकांश नेताओं ने पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनाव कराने की मांग उठाई. ज्ञात हो कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने के बाद राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था.

प्रधानमंत्री ने बैठक कर चर्चा करने और विचारों के आदान प्रदान को लोकतंत्र की बड़ी मजबूती करार देते हुए कहा, ‘मैंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से कहा कि लोगों को, विशेषकर युवाओं को जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक नेतृत्व प्रदान करना है और उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति सुनिश्चित करना है।.’ पीएम मोदी ने कहा कि वह ‘दिल्ली की दूरी’ के साथ ही ‘दिलों की दूरियों’ को भी मिटाना चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक मोदी ने जिला विकास परिषद के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न होने की तरह ही वहां विधानसभा चुनाव संपन्न कराने पर जोर दिया. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में विकास की गति पर संतोष जताया और कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों में आकांक्षाओं को लेकर उम्मीद की किरण जग रही है.

बैठक में शामिल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया और शांतिपूर्ण चुनाव जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य की बहाली के प्रमुख मील के पत्थर हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘जम्मू-कश्मीर पर बैठक के दौरान सभी ने संविधान और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की. जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर दिया गया. हम जम्मू-कश्मीर के सर्वांगीण विकास को लेकर कटिबद्ध हैं.’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के भविष्य को लेकर चर्चा हुई और परिसीमन की प्रक्रिया तथा शांतिपूर्ण चुनाव राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए अहम मील के पत्थर हैं, जैसा कि संसद में वादा किया गया था.’

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