विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के चयन को लेकर उक्रांद में भी घमासान मचा है। यही वजह है कि नामांकन प्रक्रिया शुरू हुए चार दिन बाद भी दल सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाया है। बताया गया है कि प्रत्याशी चयन को आम सहमति न बन पाने से अगली सूची जारी करने में देरी हो रही है।
उत्तराखंड क्रांति दल पिछले विधानसभा चुनाव में भले ही बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाया है, लेकिन टिकटों को लेकर यहां मारामारी राष्ट्रीय पार्टियों से कम नहीं है। दल की ओर से खासी मशक्कत के बाद अब तक तीन सूचियों में 41 प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। दो सीटों थराली सीट पर सीपीएम और लालकुआं सीट पर उसने सीपीआईएम को समर्थन दिया है। जबकि अन्य सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने को लेकर दल के केंद्रीय अध्यक्ष की अध्यक्षता में अब तक मंथन ही चल रहा है।
उत्तराखंड में क्षेत्रीय दल नहीं दिखा पा रहे असर
राज्य गठन में अहम भूमिका निभाने वाले क्षेत्रीय दल पिछले कुछ चुनावों में कोई खास असर नहीं दिखा पाए हैं। यही वजह है कि प्रदेश की सियासत भाजपा और कांग्रेस के ईद-गिर्द ही सिमटी हुई है। प्रदेश में कई क्षेत्रीय दल और संगठन हैं, लेकिन क्षेत्रीय सरोकारों की राजनीति करने वाले यह क्षेत्रीय दल सियासी परवान नहीं चढ़ सके हैं। वह सत्ता की दहलीज तक नहीं पहुंच सके हैं।
आधे अधूरे प्रयासों के चलते यह दल वह चाहे उत्तराखंड क्रांति दल हो या उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड जनवादी पार्टी, उत्तराखंड लोकतांत्रिक मोर्चा, राष्ट्रीय लोकनीति पार्टी, जनसेवा मंच, राज्य स्वराज पार्टी, राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन पार्टी, राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी, जय महाभारत पार्टी रही हो भाजपा और कांग्रेस के सामने तीसरे विकल्प नहीं बन पाए हैं। हालांकि हर बार की तरह इस बार भी इन दलों से जुड़े कुछ लोगों की ओर से चुनाव से ठीक पहले तीसरे विकल्प की कवायद के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इसकी कवायद में जुड़े लोगों का खुद मानना है कि इसमें देरी हुई है।
उक्रांद का इस तरह गिरता चला गया ग्राफ
उत्तराखंड क्रांति दल के राज्य गठन के बाद 2002 में हुए चुनाव में चार विधायक चुनकर आए। इसके बाद से दल का सियासी ग्राफ गिरना शुरू हुआ। यही वजह रही कि 2017 के चुनाव में दल खाता भी नहीं खोल पाया।
चुनाव में सभी क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि प्रदेश में जनता को तीसरा विकल्प दिया जा सके। हालांकि इस कवायद में कुछ देरी हुई है।
– एसएस पांगती, पूर्व आईएएस
जनता भाजपा और कांग्रेस से निराश है, यही वजह है कि इस बाद उक्रांद का मत प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में बढ़ेगा।