बाबरी विध्वंस में शिवसेना की भूमिका वाले पाटिल के बयान से बीजेपी ने किया किनारा

भाजपा की महाराष्ट्र इकाई ने बाबरी मस्जिद विध्वंस में बाल ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की भूमिका पर सवाल उठाने वाले वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री चंद्रकांत पाटिल की टिप्पणी से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने मीडिया से कहा कि भाजपा पाटिल के बयान का समर्थन नहीं करती है। यह पाटिल का निजी विचार है। बावनकुले ने जोर देकर कहा कि जब बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया था, तो कारसेवा में शामिल सभी लोगों का एक ही सपना था अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का गवाह बनना। शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे और सैनिकों का भी विचार था कि बाबरी मस्जिद को गिरा दिया जाना चाहिए और अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए।

बीजेपी विधायक नितेश राणे ने कहा कि राम मंदिर के लिए बाल ठाकरे की प्रतिबद्धता पर विवाद करने का कोई कारण नहीं है। सवाल है कि तब उद्धव ठाकरे कहां थे? मंदिर आंदोलन में उनका क्या योगदान था? इससे पहले, उच्च और तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री पाटिल ने कहा था कि बाबरी मस्जिद विध्वंस का नेतृत्व विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी ने किया था। उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना (तब बाल ठाकरे के नेतृत्व वाली) की बाबरी मस्जिद विध्वंस में कोई भूमिका नहीं थी।

चंद्रकांत पाटिल के बयान पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि श्रेय का तो सवाल ही नहीं है यह सरासर झूठ है। जब बाबरी मस्जिद गिराई गई थी तब ये लोग कहां थे? इतने वर्षों बाद इनकी आवाज़ बाहर आ रही है। चंद्रकांत पाटिल जी का इस्तीफा लेना चाहिए। धीरे-धीरे वो हिंदू हृदय सम्राट(बालासाहेब ठाकरे) के महत्व को भी लोगों के मन से निकालना चाहते हैं। इनके पास कोई नेता नहीं है जिसने आज़ादी के संग्राम में हिस्सा लिया हो। 

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