बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवनीत राणा की अर्जी खारीज की

बॉम्बे हाईकोर्ट से राणा दंपती को बड़ा झटका लगा है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवनीत राणा की अर्जी खारीज कर दी है. HC ने कहा कि दोनों एफआईआर अलग-अलग मामले के हैं, इसलिए FIR खारिज नहीं की जा सकती है. साथ ही कोर्ट ने पुलिस से कहा कि 72 घंटे पहले पुलिस को दूसरे FIR में नोटिस दी जानी चाहिए थी. HC ने कहा कि याचिकाकर्ता एक सांसद हैं और दूसरे याचिकाकर्ता एक विधायक हैं. उन्होंने नवनीत राणा को सार्वजनिक जगह पर हनुमान चालीसा पर फटकार लगाई है. उन्होंने कहा कि जितनी बड़ी पावर उतनी बड़ी जिम्मेदारी है. जनप्रतिनिधि की बहुत बड़ी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ता राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं. दोनों याचिकाकर्ताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का फैसला किया. मुंबई में आने के बाद दोनों आरोपीयों ने मातोश्री के बंगले में आने का ऐलान किया. पुलिस अधिकारियों ने याचिकाकर्ताओं से कहा था कि वो ऐसा कुछ न करें. इसके अलावा पुलिस की तरफ से 149 के तहत दोनों को नोटिस भी दिया गया था. नोटिस देने के बावजूद दोनों याचिकाकर्ता मातोश्री जाने के अपने फैसले पर अड़िग रहे. समाज में इसको लेकर प्रतिक्रिया दिखाई दी, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ नजर आई और इसी को लेकर दोनों याचिकाकर्ताओं पर कार्यवाही की गई है. 

वहीं, दूसरी एफआईआर 24 अप्रैल की दर्ज की गई. याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के दिए गए कुछ निर्णय का हवाला भी दिया, जिसमें दोनों एफआईआर एक ही घटना से संबंधित थे. सरकारी वकील प्रदीप घरत ने तर्क दिया कि ये दो अलग-अलग घटनाओं की, दो अलग-अलग एफआईआर है. सरकारी वकील ने कहा कि दोनों आरोपियों पर की गई कार्यवाही सरकारी तंत्र को चुनौती देने को लेकर है. उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि पुलिस अधिकारी याचिकाकर्ताओं से अनुरोध कर रहे थे लेकिन याचिकाकर्ता उनकी बात नहीं सुन रहे थे और सहयोग करने को कतई तैयार नहीं थे.

याचिकाकर्ताओं ने सहयोग नहीं किया और उनसे बहस की. सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि जब पुलिस अधिकारी दोनों आरोपियों को घर से बाहर निकलकर गाड़ी में ले जाने की कोशिश कर रहे थे, उस दौरान धक्कामुक्की भी हुई.  कोर्ट ने ये भी पाया है कि जैसा कि विशेष सरकारी वकील ने कहा- यदि कोई व्यक्ति अपने धार्मिक विश्वासों का पालन दूसरे के घर या सार्वजनिक स्थान पर करता है तो वो व्यक्ति सीधे-सीधे दूसरे की आजादी पर हथौड़ा मारने का काम करता है. जनप्रतिनिधियों को अपनी जवाबदारी समझते हुए व्यवहार करना चाहिए और उनसे सभी यही अपेक्षा रखते हैं

मुंबई कोर्ट ने कहा कि ये दोनों अलग-अलग मामलों में एफआईआर होने के कारण रद्द नहीं किए जा सकते हैं. अगर दूसरे एफआईआर में किसी भी प्रकार की कार्यवाही करनी है तो 72 घंटे पहले नोटिस देना होगा. सरकारी वकील प्रदीप घरात ने मीडिया को बताया है कि कोर्ट ने राणा दंपती की याचिका को रद्द कर दिया. दंपती की मांग थी कि जो दूसरा मामला दर्ज किया गया था, उसे खारिज किया जाए. दूसरा जो गुनाह है, उसे भी 124 (A) के तहत ही शामिल किया जाए. मामले की जांच के लिए पुलिस उनके द्वारा और मीडिया द्वारा बनाए गए सभी विडियो को भी खंगालेगी.

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