संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में सोमवार रात गाजा में जारी हिंसा पर लाए गए रूस का प्रस्ताव खारिज हो गया। दरअसल रूस के प्रस्ताव में गाजा में आम नागरिकों के खिलाफ हो रही हिंसा की निंदा करते हुए युद्धविराम की मांग की गई थी, लेकिन इसमें हमास या उसके द्वारा इस्राइली नागरिकों पर किए गए बर्बर हमले का जिक्र ही नहीं किया गया था। ऐसे में पश्चिमी देशों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पास होने के लिए 9 वोटों की जरूरत थी लेकिन प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ चार देशों ने मतदान किया। वहीं चार देशों ने इसके खिलाफ वोट दिया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, पश्चिमी देशों की बंधक
गाजा पर रूसी प्रस्ताव पर मतदान से पहले रूसी राजनयिक वेसिली नेबंजिया ने सदस्य देशों से समर्थन मांगते हुए कहा कि गाजा संकट अभूतपूर्व है और इसमें हताहतों की संख्या हर घंटे बढ़ रही है। रूसी राजनयिक ने इस्राइल और गाजा में आम नागरिकों की मौतों की कड़ी निंदा की। वहीं रूसी प्रस्ताव खारिज होने के बाद वेसिली नेबंजिया ने कहा कि एक बार फिर साबित हो गया है कि सुरक्षा परिषद पश्चिमी देशों के स्वार्थों की बंधक है और यह बीते दशक की सबसे गंभीर हिंसा रोकने के लिए एकजुट संदेश देने में विफल रही है।
रूसी प्रस्ताव पर क्या बोलीं अमेरिकी राजदूत
वहीं अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि रूसी प्रस्ताव में हमास का जिक्र ही नहीं है जबकि हमास ने इस्राइली नागरिकों, यहूदियों को तबाह करने की नीयत से हमला किया। रूस हमास की निंदा नहीं कर इस आतंकी संगठन के बर्बर कृत्य का बचाव कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमास के हमले की वजह से ही गाजा में यह गंभीर मानवीय संकट पैदा हुआ है। अमेरिकी राजदूत ने गाजा में जारी हिंसा की भी निंदा की लेकिन ये भी कहा कि आतंकी हमले का जवाब देना इस्राइल का अधिकार है। ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवार्ड ने रूसी प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि इस्राइली पर हुए उसके इतिहास के सबसे बर्बर हमले को इस प्रस्ताव में नजरअंदाज किया गया है।