प्लाज्मा थैरेपी हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को कोविड से उबरने में मदद नहीं करती है। यह दावा लैंसेट जर्नल में पब्लिश रिसर्च में किया गया है। रिसर्च के मुताबिक, यह नतीजे ब्रिटेन के 177 अस्पतालों में कोरोना पीड़ितों पर हुई प्लाज्मा थैरेपी के ट्रायल में सामने आए हैं।
प्लाज्मा थैरेपी क्यों असरदार नहीं, 3 पॉइंट्स में ऐसे समझें
11,558 मरीजों को दी गई प्लाज्मा थैरेपी
शोधकर्ताओं ने प्लाज्मा थैरेपी का कोरोना के मरीजों पर असर देखने के लिए 28 मई, 2020 से 15 जनवरी, 2021 के बीच रिसर्च की। रिसर्च में कोरोना के 16,287 मरीजों को शामिल किया गया। इनमें से 11,558 मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी दी गई, वहीं 5,763 मरीजों को सामान्य ट्रीटमेंट दिया गया।
दोनों ग्रुप में 24% मरीजों की मौत हुई
6 महीने तक चली रिसर्च में सामने आया कि प्लाज्मा थैरेपी लेने वाले 5,795 मरीजों में से 24 फीसदी यानी 1,408 पीड़ितों की मौत हो गई। वहीं, सामान्य ट्रीटमेंट लेने वाले दूसरे समूह के 5,763 मरीजों में से 1,408 यानी 24 फीसदी पीड़ितों की मौत हो गई।
थैरेपी लेने वालों को डिस्चार्ज होने में 1 दिन अधिक लगा
थैरेपी का असर मरीज के ट्रीटमेंट पर भी नहीं हुआ। शोधकर्ताओं के मुताबिक, प्लाज्मा थैरेपी लेने वाले मरीज औसतन 12 दिन में डिस्चार्ज हुए। वहीं, सामान्य ट्रीटमेंट लेने वाले मरीजों को 11 दिन में ही घर जाने की अनुमति मिल गई।
क्या होता है प्लाज्मा?
प्लाज्मा इंसान के खून का तरल हिस्सा है। यह 91 से 92 प्रतिशत पानी से बना और हल्के पीले रंग का होता है। यह आपके खून का करीब 55 प्रतिशत हिस्सा है। बचा हुए 45 फीसदी में रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स होती हैं।
प्लाज्मा को हम “उधार की इम्युनिटी” भी कह सकते हैं। क्योंकि इसे बीमारी से उबर चुके व्यक्ति के खून से निकालकर कोरोना के मरीज को दिया जाता है। इसमें एंटी बॉडीज होती हैं जो वायरस से लड़ने के लिए तैयार रहती हैं।
कैसे होता है प्लाज्मा डोनेशन?
अमेरिकन रेड क्रॉस के मुताबिक, कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा डोनेशन कोविड 19 से पूरी तरह उबर चुके मरीज ही कर सकते हैं। प्लाज्मा डोनेशन के दौरान व्यक्ति के हाथ से प्लाज्मा निकाला जाता है।
कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर प्लाज्मा को ब्लड कलेक्ट करने के 24 घंटे के भीतर -18 डिग्री सेल्सियस पर जमा या ठंडा किया जाता है तो इसे 12 महीने तक स्टोर कर रख सकते हैं।
कौन कर सकता है डोनेट
- एफडीए के अनुसार, प्लाज्मा केवल उन्हीं लोगों से कलेक्ट किया जाना चाहिए जो ब्लड डोनेशन के लिए योग्य हैं।
- अगर व्यक्ति को पहले कोरोनावायरस पॉजिटिव रह चुका है तो ही वह दान कर सकता है।
- संक्रमित व्यक्ति कोविड 19 से पूरी तरह उबरने के 14 दिन बाद ही डोनेशन कर सकता है। डोनर में किसी भी तरह के लक्षण नहीं होने चाहिए।
- दान देने वाले के शरीर में ब्लड वॉल्यूम ज्यादा होना चाहिए। यह आपके शरीर की लंबाई और वजन पर निर्भर करता है।
- डोनर की उम्र 17 साल से ज्यादा और पूरी तरह से स्वस्थ्य होना चाहिए।
- आपको मेडिकल एग्जामिनेशन से गुजरना होगा, जहां आपकी मेडिकल हिस्ट्री की जांच की जाएगी।