भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक सोमवार से शुरू हो गई है। गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हो रही यह बैठक बुधवार, 6 अगस्त को समाप्त होगी, जिसमें अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार ब्याज दरों को स्थिर रखा जा सकता है और आरबीआई फिलहाल किसी बदलाव से परहेज कर सकता है।

गौरतलब है कि फरवरी से शुरू हुई मौद्रिक नरमी की प्रक्रिया के तहत अब तक रेपो रेट में तीन बार में कुल 100 आधार अंकों की कटौती की जा चुकी है। हाल ही में अमेरिका द्वारा 7 अगस्त से भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लागू करने की घोषणा के बाद आरबीआई सतर्क रुख अपनाए हुए है और आने वाले आर्थिक आंकड़ों पर नजर बनाए हुए है।

ब्याज दर में बदलाव की संभावना कम

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का मानना है कि नीतिगत रुख में बदलाव की संभावना नहीं है। उन्होंने बताया कि पिछली बैठक में पहले ही अमेरिकी टैरिफ के असर को ध्यान में रखा जा चुका है, इसलिए विकास दर या मुद्रास्फीति के अनुमान में कोई बड़ा फेरबदल फिलहाल नहीं होगा। उनका मानना है कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर 3.5 से 3.6 प्रतिशत के बीच रह सकती है।

तेल की कीमतें भी इस समय चर्चा में हैं और विशेषज्ञों के अनुसार यह कारक भी मौद्रिक नीति पर असर डाल सकता है। हालांकि आरबीआई के लिए फिलहाल नीतिगत दर में स्थिरता बनाए रखना ही प्राथमिकता होगी, ताकि पहले से की गई दर कटौती का लाभ अर्थव्यवस्था में पूरी तरह दिखाई दे सके।

मुद्रास्फीति लक्ष्य के भीतर

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई फरवरी से लगातार आरबीआई के निर्धारित लक्ष्य 4% से नीचे बनी हुई है। जून में यह घटकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई थी। सरकार ने आरबीआई को निर्देश दिया है कि मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखा जाए, जिसमें दोनों ओर दो प्रतिशत का लचीलापन हो।

महंगाई अनुमान में बदलाव संभव

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि हाल के महंगाई आंकड़े यह संकेत दे रहे हैं कि वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में खुदरा महंगाई में और नरमी रह सकती है। उन्होंने अनुमान जताया है कि एमपीसी वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने महंगाई अनुमान को मौजूदा 3.7 प्रतिशत से घटाकर 3.5 प्रतिशत तक कर सकती है।

अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि इससे जीडीपी वृद्धि दर पर दबाव पड़ सकता है और रुपये की स्थिरता पर भी असर पड़ेगा। उनके अनुसार, अगस्त नीति बैठक में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की और कटौती की संभावना बन सकती है।

एमपीसी के सदस्य

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति में छह सदस्य हैं: गवर्नर संजय मल्होत्रा, डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता, कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन, और तीन बाहरी सदस्य — डॉ. नागेश कुमार (निदेशक, औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली), सौगत भट्टाचार्य (स्वतंत्र अर्थशास्त्री) और प्रो. राम सिंह (निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स)। समिति बुधवार को अपने फैसले की घोषणा करेगी, जिस पर निवेशकों और उद्योग जगत की नजर टिकी हुई है।