नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में टैरिफ युद्ध और आर्थिक अनिश्चितताओं के असर से भारतीय रुपया शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। रुपया 64 पैसे टूटकर 88.27 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार की शुरुआत में ही यह 18 पैसे फिसलकर 87.76 पर आ गया था, जबकि इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में इसका शुरुआती भाव 87.73 रहा। गुरुवार को रुपया 87.58 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इसी दौरान डॉलर इंडेक्स 0.1 फीसदी बढ़कर करीब 98 अंक तक पहुंच गया।
युआन के मुकाबले भी कमजोरी
डॉलर के साथ-साथ रुपया ऑफशोर चीनी युआन के मुकाबले भी फिसलकर अब तक के न्यूनतम स्तर 12.33 पर पहुंच गया है। इस महीने इसमें 1.6 फीसदी की गिरावट आई है। साल 2024 की शुरुआत से अब तक रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 3% गिर चुका है, जिससे यह एशियाई बाजारों की सबसे कमजोर करेंसी बन गई है। विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने रुपये पर अतिरिक्त दबाव डाला है।
आरबीआई का हस्तक्षेप
भारतीय रिज़र्व बैंक ने रुपये की तेज गिरावट को थामने के लिए जून में स्पॉट फॉरेक्स मार्केट में 3.66 अरब डॉलर की बिक्री की। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जून में उसने 1.16 अरब डॉलर की खरीद और 4.83 अरब डॉलर की बिक्री की थी। इससे पहले मई में बैंक ने 1.76 अरब डॉलर की खरीद की थी।
सबसे स्थिर मुद्राओं में शामिल
वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं और वैश्विक व्यापार माहौल पर दबाव के बावजूद भारत का बाहरी क्षेत्र (external sector) अपेक्षाकृत मजबूत बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि मामूली अवमूल्यन के बावजूद रुपया जुलाई में प्रमुख उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDEs) में सबसे कम अस्थिर मुद्राओं में से एक रहा।