डॉलर की बजाय सोने पर भरोसा: जून में आरबीआई ने फिर बढ़ाया स्वर्ण भंडार

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जून 2025 के अंतिम सप्ताह में एक बार फिर सोने की खरीदारी कर अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। केवल एक हफ्ते में 0.2 टन (लगभग 4 क्विंटल) सोना खरीदकर 27 जून तक देश का कुल स्वर्ण भंडार 879.8 टन तक पहुंच गया, जो एक सप्ताह पहले 879.6 टन था। यह निवेश ऐसे समय में हुआ है जब चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में RBI ने इस दिशा में थोड़ी सतर्कता दिखाई थी। मगर जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता और महंगाई के संकेत मजबूत होते गए, केंद्रीय बैंक ने एक बार फिर सोने की ओर रुख किया है।

डॉलर के बजाय सोने पर बढ़ा RBI का भरोसा

पिछले कुछ वर्षों में RBI ने बार-बार यह संकेत दिया है कि वह विदेशी मुद्रा भंडार में सोने को एक स्थायी और भरोसेमंद विकल्प मानता है। 2024-25 की पहली छमाही में स्वर्ण भंडार विदेशी मुद्रा के कुल हिस्से का सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला भाग बन गया है। 18 जुलाई 2025 तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी 12.1% तक पहुंच गई, जो एक साल पहले 8.9% थी। यह 3.2% की वार्षिक वृद्धि दर्शाती है, जिससे साफ होता है कि रिजर्व बैंक अब सोने को लेकर एक दीर्घकालिक रणनीति पर काम कर रहा है।

मुनाफे और स्थिरता दोनों दे रहा है सोना

RBI के लिए सोने का महत्व केवल इसकी सुरक्षा या तरलता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक लाभकारी संपत्ति के रूप में भी उभरा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, बीते तीन वर्षों में दुनिया के केंद्रीय बैंकों ने हर साल 1000 टन से अधिक सोना खरीदा है। वर्ष 2025 के पहले छह महीनों में ही सोने ने लगभग 26% रिटर्न दिया, जिससे यह देश का सर्वाधिक लाभ देने वाला एसेट बन गया है। तुर्की में यही रिटर्न 40% से ऊपर पहुंच चुका है। सोने की यह बढ़त न केवल यूरो, येन और पाउंड जैसी प्रमुख मुद्राओं, बल्कि चीन की रेनमिनबी से भी बेहतर रही है।

लंबी अवधि की सोच के तहत बढ़ रही खरीद

RBI विदेशी मुद्रा भंडार के निर्माण में तीन मुख्य बातों—सुरक्षा, तरलता और लाभ—का ध्यान रखता है, और सोना इन सभी कसौटियों पर खरा उतरता है। वैश्विक संकट या डॉलर में उतार-चढ़ाव के समय सोना एक विश्वसनीय संपत्ति के रूप में सामने आता है। यही वजह है कि मार्च 2025 के बाद से RBI ने एक भी किलो सोना नहीं बेचा है, जो उसकी दीर्घकालिक रणनीति को दर्शाता है।

क्या आगे भी जारी रहेगा यह रुख?

वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि जब तक वैश्विक बाजार में अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव बना रहेगा, केंद्रीय बैंक सोने को अपनी प्राथमिकता बनाए रखेंगे। भारत में भी, RBI विदेशी मुद्रा भंडार की विविधता बढ़ाने और डॉलर पर निर्भरता घटाने की दिशा में सोने में निवेश जारी रखेगा। इसके साथ ही, रुपये की विनिमय दर को स्थिर रखने और भंडार की गुणवत्ता सुधारने में भी सोना अहम भूमिका निभाएगा।

अब सिर्फ मात्रा नहीं, गुणवत्ता भी अहम

RBI की लगातार हो रही खरीदारी यह संकेत देती है कि भारत अब केवल भंडार की मात्रा नहीं, बल्कि उसकी स्थिरता और गुणवत्ता पर भी ध्यान दे रहा है। सोना ऐसा माध्यम है जो महंगाई से सुरक्षा देने के साथ-साथ संकट की घड़ी में आर्थिक सुरक्षा की रीढ़ साबित होता है। यह नीति आने वाले समय में देश की मुद्रा और आर्थिक व्यवस्था की मजबूती में सहायक बन सकती है।

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