संयुक्त रक्षा सेवाओं (सीडीएस) के माध्यम से भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए), भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) और वायुसेना अकादमी (एएफए) में महिलाओं के प्रवेश की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आठ सप्ताह में निर्णय लेने के लिए कहा है। अदालत ने कुश कालरा की एक याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिन्होंने यूपीएससी द्वारा भर्ती आवेदन के लिए जारी दिसंबर 2023 की अधिसूचना को चुनौती दी थी।
दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने सुनाया यह आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएम अरोड़ा की बेंच ने शुक्रवार को संज्ञान लिया कि याचिका अब तक संबंधित अधिकारियों के पास पेंडिंग है। पीठ ने कहा कि हम केंद्र को आदेश दे रहे हैं कि वे आठ सप्ताह में कानून के तहत महिलाओं के शामिल होने पर कोई निर्णय लें और इसी आदेश के साथ हम याचिका का निपटारा करते हैं।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कही यह बात
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि अधिसूचना में उन्हें सिर्फ लिंग के आधार पर आईएमए, आईएनए और आईएफए के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा से बाहर रखा गया। महिलाओं को सिर्फ ओटीए में शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए अप्लाई करने की अनुमति दी गई है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि जब रक्षा मंत्रालय एनडीए में महिलाओं को शामिल कर रहा है। सेना में हर साल महिलाओं की गिनती बढ़ रही है तो महिलाओं को सीडीएस परीक्षा में शामिल न करने का कोई कारण नहीं बनता। उन्होंने कहा कि योग्य महिला उम्मीदवारों को प्रमुख प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर न देना समानता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।