हड़ताल या धरने में शामिल होने वाले सरकारी कर्मियों को केंद्र ने दी चेतावनी

केंद्र सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) से जुड़े  किसी भी विरोध प्रदर्शन या हड़ताल में भाग नहीं लेने के लिए कहा है। सरकार ने कर्मियों को चेतावनी दी है कि यदि वे इसमें शामिल होते हैं तो उन्हें ‘परिणाम’ भुगतने होंगे।

सरकार का यह बयान राष्ट्रीय संयुक्त कार्य परिषद (एनजेसीए) की ओर से ‘पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए संयुक्त मंच (ओपीएस)’ के बैनर तले मंगलवार को देश भर में जिला स्तरीय रैलियों के आयोजन की योजना के मद्देनजर आया है।

कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की ओर से केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों को सोमवार को जारी निर्देशों में सरकारी कर्मचारियों को सामूहिक आकस्मिक अवकाश, गो-स्लो, धरना आदि सहित ऐसे किसी भी प्रकार के हड़ताल में भाग लेने से रोकने की बात कही है जो सीसीएस नियम 1964 के रूल 7 का उल्लंघन करता है।

कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का अधिकार देने से जुड़ा कोई कानून नहीं 

उन्होंने कहा, ‘कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का अधिकार देने वाला कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई फैसलों में सहमति व्यक्त की है कि हड़ताल पर जाना आचरण नियमों के तहत एक गंभीर कदाचार है और सरकारी कर्मचारियों की ओर  से किए गए उल्लंघन को कानून के अनुसार निपटने की आवश्यकता है। 

इन निर्देशों में कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन सहित किसी भी रूप में हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारी को परिणाम भुगतने होंगे। उनके खिलाफ वेतन में कटौती के अलावा उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है।  

पत्र में सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से कहा गया है कि आपके मंत्रालय व विभागों के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को विभाग की ओर से जारी आचरण नियमों और माननीय सर्वोच्च न्यायालय की ओर से बरकरार रखे गए अन्य नियमों के तहत उपरोक्त निर्देशों के बारे में उपयुक्त रूप से सूचित किया जा सकता है।

हड़ताल के दिन के लिए छुट्टियां मंजूर नहीं करने के निर्देश

साथ ही आदेश में प्रस्तावित विरोध व हड़ताल की अवधि के दौरान आवेदन करने वाले कर्मचारियों को आकस्मिक अवकाश या अन्य प्रकार के अवकाश को मंजूरी नहीं देने के निर्देश जारी किए जा सकते हैं और यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि इच्छुक कर्मचारियों को कार्यालय परिसर में बाधा मुक्त प्रवेश की अनुमति दी जाए। 

इस उद्देश्य के लिए संयुक्त सचिव (प्रशासन) को सुरक्षा कर्मियों के साथ समन्वय का काम सौंपा जा सकता है। मंत्रालय व विभाग के विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए उपयुक्त आकस्मिक योजना पर भी काम किया जा सकता है।

आदेश में कहा गया है कि यदि कर्मचारी धरना-प्रदर्शन या हड़ताल पर जाते हैं तो प्रस्तावित कार्यक्रम में भाग लेने वाले कर्मचारियों की संख्या का उल्लेख करने वाली एक रिपोर्ट उस दिन की शाम को डीओपीटी को दी जानी चाहिए। इस संबंध में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक संयुक्त सलाहकार तंत्र पहले से ही काम कर रहा है।

यह योजना सौहार्दपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने और सरकार के बीच सहयोग के सबसे बड़े पैमाने को सुरक्षित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। निर्देश में कहा गया है, ”जेसीएम विभिन्न स्तरों पर अपने समक्ष लाए गए मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं और परामर्श प्रक्रिया अभी भी कर्मचारियों की ओर से सक्रिय सहयोग से काम कर रही है।”

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