मंत्री का प्रशंसनीय कार्य !

मंत्रियों एवं जनप्रतिनिधियों पर अक्सर जनता और जनहित की अवहेलना के आरोप लगते रहते हैं किन्तु कभी-कभी जनप्रतिनिधियों की चेतना तथा सक्रियता की घटनायें भी सामने आती हैं जो उनकी कर्त्तव्यनिष्ठा को दर्शाती हैं। ऐसी एक घटना 10 दिसंबर 2020 को मुजफ्फरनगर कलेक्ट्रेट में हुई जब राजस्व राज्यमंत्री विजय कश्यप ने जिला अधिकारी कार्यालय के सामने स्थित जिला पूर्ति विभाग के कैंप कार्यालय के समक्ष लोगों की भीड़ लगी देखी। इन लोगों में कुछ दिव्यांग भी थे जो कार्यालय के समक्ष मायूस बैठे थे। राज्यमंत्री ने इनसे भीड़ का कारण पूछा तो उन्हें पता चल कि वे पूर्ति विभाग से राशन कार्ड बनवाने को कई दिनों से चक्कर काट रहे हैं। लोगों ने बताया कि पात्रों के राशन कार्ड न बना कर उन्हें बार बार टरकाया जाता हैं।

राज्यमंत्री विजय कश्यप ने आपूर्ति विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को आम जनता को नाहक परेशान करने पर फटकार लगाई और अपने सामने ही राशन कार्ड बनवाने की प्रक्रिया आरंभ कराई। मंत्री महोदय का जनहित में किया गया यह कार्य प्रशंसनीय है किन्तु यह प्रश्न फिर भी उठता है कि क्या मंत्री के समझाने के बाद पूर्ति विभाग के कर्मचारी लापरवाही और निकम्मेपन की पुरानी आदत छोड़ पायेंगे?

जिला पूर्ति विभाग की कार्यप्रणाली सदा से आलोचना का विषय रही हैं। राशन कार्ड बनवाना जंग जीतने के समान है, गरीबों के राशन को डकार जाने वाले मगरमच्छों पर अंकुश लगना भी दूभर है। वास्तविकता यह है कि जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में सक्रिय होना पड़ेगा। मंत्रियों, सांसदों, विधायकों तथा अन्य जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य बनता है कि वे सरकारी मशीनरी के पुर्जों की कारगुजारियों पर निगाह रखें किंतु सरकारी तंत्र पर निगरानी से पहले जनप्रतिनिधियों को भी अपने दामन को पाक साफ करना होगा। पश्चिमी बंगाल में ज्योति बसु 22 वषों तक मुख्यमंत्री रहें क्योंकि उनके दामन पर भ्रष्टाचार या दलाली का एक भी छींटा नहीं लगा था और उनके कार्यकर्ताओं को सरकारी दफ्तरों पर निगहबानी रहती थी। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों का पहला कर्तव्य सरकारी कार्यप्रणाली को चुस्त-दुरुस्त एवं भ्रष्टाचार मुक्त रखना है।

गोविंद वर्मा (संपादक ‘देहात’)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here