कांग्रेस चीफ खड़गे ने वेणुगोपाल को लवली से बात करने और विवाद हल करने को कहा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल को अरविंदर सिंह लवली से बात करने और दिल्ली कांग्रेस संकट को हल करने का रास्ता खोजने का निर्देश दिया है. अरविंदर सिंह लवली ने आज दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद से ही कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी विवाद निकलकर सामने आया है. अरविंदर ने अपने इस्तीफे के दौरान लिखे गए चार पन्ने के पत्र में इस फैसले के पीछे कई वजहों का जिक्र किया है. 

लवली ने क्यों दिया इस्तीफा?

अरविंदर सिंह लवली पर कई सारे नेताओं को अनुशासनात्मक कार्रवाई कर हटाने का पहले से दबाव था लेकिन आखिरी वजह बना कन्हैया कुमार के कार्यालय उद्घाटन का पोस्टर. कन्हैया कुमार नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं और रविवार को उनके कार्यालय का उद्घाटन तय था. लेकिन कन्हैया के पोस्टर पर कांग्रेस के कई सीनियर नेता नहीं नजर आए, जिस पर पार्टी के अंदर नेताओं में काफी गुस्सा है. 

दीपक बाबरिया से अनबन

ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जब नेताओं ने बाबरिया के तौर-तरीकों पर आपत्ति जताई है. लवली के मुताबिक, उन पर बाबरिया के खिलाफ रहने वाले नेताओं को बाहर करने का भारी दबाव है. 

लवली ने अपने लेटर में लिखा, ‘यह पत्र में बहुत भारी दिल से लिख रहा हूं. मैं पार्टी में खुद को एकदम लाचार महसूस करता हूं. इसलिए अब दिल्ली के अध्यक्ष पद पर बना नहीं रह सकता. दिल्ली कांग्रेस के सीनियर नेताओं के लिए गए सभी सर्वसम्मत फैसलों पर एकतरफा दिल्ली के प्रभारी (दीपक बाबरिया) रोक लगा देते हैं. जब से मुझे दिल्ली का पार्टी अध्यक्ष बनाया गया है, तब से मुझे किसी को भी सीनियर पद पर नियुक्त करने की अनुमति नहीं है.’

AAP के साथ कांग्रेस गठबंधन को लेकर कही बड़ी बात

अरविंदर सिंह लवली ने पत्र में आगे लिखा है कि मैंने एक अनुभवी नेता को मीडिया प्रभारी के रूप में नियुक्ति करने की गुजारिश की, लेकिन दिल्ली प्रभारी ने इसे खारिज कर दिया. दिल्ली प्रभारी ने अब तक ब्लॉक प्रभारी नियुक्त करने की अनुमति भी नहीं दी है. इस वजह से ही अब तक दिल्ली के 150 ब्लॉक में प्रभारियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है. उन्होंने आगे लिखा कि दिल्ली कांग्रेस इकाई उस पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थी, जो कांग्रेस के खिलाफ झूठ बोलकर, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर बनी थी. जिस पार्टी के आधे कैबिनेट मंत्री इस वक्त भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं. इसके बाद भी पार्टी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने का फैसला किया. 

लवली ने आगे लिखा कि हमने पार्टी के आखिरी फैसले का सम्मान किया. मैंने न केवल सार्वजनिक रूप से इस फैसले का समर्थन किया, बल्कि यह भी तय किया कि स्टेट यूनिट हाईकमान के आखिरी आदेश के मुताबिक ही काम करे. दिल्ली प्रभारी के निर्देश पर मैं अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की रात सुभाष चोपड़ा और संदीप दीक्षित के साथ उनके (केजरीवाल) घर भी गया. हालांकि, इस मुद्दे पर मेरा मत बिल्कुल अलग था.

दिल्ली में सीट बंटवारे को लेकर जताई नाराजगी

अरविंदर सिंह लवली ने आगे लिखा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद कांग्रेस को आम चुनाव में लड़ने के लिए 3 संसदीय सीटें मिलीं. समाचार के जरिए जब मुझे कम सीटें मिलने की बात पता चली तो मैंने पार्टी के हित में यह सुनिश्चित किया कि टिकट दूसरे सीनियर नेताओं को मिल सके. मैंने सार्वजनिक रूप से अपना नाम वापस ले लिया और संभावित उम्मीदवार के रूप में विचार किए जाने से इनकार कर दिया. इन 3 सीटों में से सभी पर्यवेक्षकों और स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के विचारों को खारिज करते हुए, उत्तर-पश्चिम दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली की सीटें 2 उम्मीदवारों को दे दी गईं, जो दिल्ली कांग्रेस और पार्टी की नीतियों के लिए पूरी तरह से अजनबी थे. 

कन्हैया और उदित राज को टिकट मिलने पर हुआ था विरोध 

उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार कन्हैया कुमार को लेकर दिल्ली कांग्रेस की बैठक में पूर्व सांसद संदीप दीक्षित में जमकर विरोध किया था. इसके बाद उत्तरी पश्चिमी दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज को लेकर भी पार्टी के अंदर विरोध देखा गया था. 

पिछले दिनों दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी दीपक बावरिया ने अपने आवास साउथ एवेन्यू पर पूर्व विधायकों और मंत्रियों की बैठक बुलाई थी, जिसमें दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली भी मौजूद थे. उनकी मौजूदगी में पार्टी के कई नेताओं ने उदित राज का विरोध किया था और दिल्ली कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया को भी खरी-खोटी  सुनाई. 

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