आतंकियों को चुनौती देने के लिए ग्रामीणों को हथियार चलाना सिखाएगी सीआरपीएफ

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब देने वाली ‘सीआरपीएफ’ के जांबाज, अब ग्राम विकास कमेटी ‘वीडीसी’ के तत्वावधान में ग्रामीणों को हथियार चलाना सिखाएंगे। राज्य के कई ग्रामीण इलाकों में पहले से ही लोगों के पास लाइसेंसी हथियार हैं। पुंछ-राजौरी में बड़ा आतंकी हमला होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर के सभी इलाकों में इस योजना को अंजाम देने की रणनीति तैयार की गई है। सीआरपीएफ द्वारा गांव में ही यह ट्रेनिंग दी जाएगी। कहां पर कितने लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी, इसका विवरण तैयार किया जा रहा है।

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर के ढांगरी गांव में नए साल के पहले ही दिन बड़ा आतंकवादी हमला हुआ था। उसमें चार लोग मारे गए थे, जबकि छह लोग घायल हुए थे। उसके दूसरे ही दिन एक आईईडी विस्फोट में दो लोगों की जान चली गई थी। इसके अलावा नौ लोग जख्मी हो गए थे। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय, इंटेलिजेंस एजेंसियां और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने ग्रामीणों की सुरक्षा के लिहाज से कई कदम उठाए थे। उन्हीं में से एक पहल, वहां के ग्रामीणों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देना भी शामिल है। सरकार, हथियारों के नए लाइसेंस जारी कर सकती है।

सीआरपीएफ मुख्यालय में आईजी रैंक के एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने सोमवार को बताया कि यह ट्रेनिंग प्रोग्राम कहां-कहां पर चलेगा, कितने लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी और हथियारों का स्वरूप कैसा होगा, ये सब बातें जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा तय की जाएंगी। राजौरी सेक्टर में हुए हमले के बाद वहां पर सीआरपीएफ की 18 कंपनियां तैनात की गई हैं। कुछ ग्रामीणों के पास एसएलआर राइफल हैं, जबकि अधिकांश लोगों के पास अन्य तरीके के हथियार हैं।

कई नए लोगों को भी प्रशासन द्वारा बंदूकें दी जा सकती हैं। इस योजना को जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रों में लागू करने की बात कही जा रही है। हालांकि अभी सीआरपीएफ को पुंछ और राजौरी क्षेत्र में लोगों को ट्रेंड करने की जिम्मेदारी मिली है। ऐसा संभव है कि जिस क्षेत्र में जो भी सुरक्षा बल तैनात हो, उसे वहां ट्रेनिंग देने का दायित्व सौंपा जाए।

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