राजधानी में काम करने वाले प्रवासियों को एक बार फिर लॉकडाउन का डर सताने लगा है। उन्हें आशंका है कि सप्ताहांत और रात्रि कर्फ्यू की बंदिशें कहीं संपूर्ण लॉकडाउन में तब्दील न हो जाए। हालांकि, सरकार बार-बार कह रही है कि कोरोना का प्रसार रोकने के लिए बंदिशें लगाई गई हैं, लॉकडाउन नहीं लगेगा।
बावजूद इसके, शुक्रवार को सप्ताहांत कर्फ्यू लागू होने से कुछ घंटे पहले बस अड्डों पर दूसरे राज्यों में जाने वाले यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सराय काले खां, कश्मीरी गेट, आनंद विहार बस अड्डे पर हर किसी को दिल्ली से बाहर निकलने की जल्दबाजी थी, ताकि संक्रमण के हालात और बिगड़ने से पहले गांव पहुंच जाएं। हर किसी के सिर पर गठरी तो, कुछ बड़े बैग लिए हुए थे।
कुछ ने अपना सामान बोरी में भर रखा था। कुछ श्रमिकों ने कहा, ‘बड़े अरमान लेकर दिल्ली में आए थे, लेकिन कोरोना के कारण उन्हें पूरा नहीं कर पाए। आर्थिक स्थिति इससे पहली लहर में कमजोर हो गई थी। लॉकडाउन लगा तो जीना मुश्किल हो जाएगा।’ हालांकि, कुछ यात्री ऐसे भी थे जो सप्ताहांत कर्फ्यू के दो दिन के दौरान अपने नजदीकी शहर चले गए, जो सोमवार को लौट आएंगे। दिल्ली के तीनों बस अड्डों से अमर उजाला की खास रिपोर्ट…
सराय काले खां बस अड्डा : बसों में नहीं मिली जगह, परिवार भी साथ ले गए
छतरपुर, ग्वालियर, आगरा सहित मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के शहरों में जाने वालों की भीड़ इतनी अधिक दिखी कि कई बसों में बैटने की जगह न मिलने पर दूसरी बस की तरफ रुख करना पड़ा। अपने परिवार के साथ छतरपुर जा रहे गोपीचंद ने बताया कि हर हफ्ते कर्फ्यू और रात्रि कर्फ्यू में उनके लिए ड्यूटी करना मुश्किल हो रहा है। निजी कंपनी में सुरक्षा गार्ड हैं, मगर ड्यूटी के लिए पहुंचना रोजाना दिक्कत हो रही थी।सप्ताहांत के दो दिनों के कर्फ्यू के बाद पता नहीं आगे क्या होगा, इसलिए अपने गांव जा रहे हैं।
अपने बच्चों के साथ ग्वालियर जा रहे शैलेंद्र ने बताया कि किराए पर रहकर गुजारा करना इस बार फिर मुश्किलों भरा हो सकता है। इसलिए फिलहाल गांव जा रहे हैं। अगर हालात ठीक हुए तो लौटेंगे। यात्रियों की शिकायत थी कि उनसे करीब दोगुना किराया वसूला जा रहा है। यात्रियों के बीच घूमकर नमकीन बेचने वाले पवन ने बताया कि शुक्रवार को यात्रियों की संख्या सामान्य दिनों से दोगुना है। लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि आगे पता नहीं क्या होगा?
आनंद विहार बस अड्डा : सभी की थर्मल स्क्रीनिंग
यहां भी नजदीकी शहरों में जाने वालों की भीड़ रही। खासकर, दो दिनों के कर्फ्यू को देखते हुए अधिकतर लोग अपने जरूरी काम से या घरों के लिए रवाना हुए। बसों में प्रवेश करने से पहले सभी यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही थी। यहां जांच की भी सुविधा मुहैया की जा रही है। जांच में संक्रमित होने पर इसकी सूचना मैसेज से देकर, आइसोलेशन में रहने को कहा जा रहा है। सभी के लिए मास्क लगाना अनिवार्य है। बसों में भी भारी भरकम सामान के लिए आईएसबीटी तक पहुंचाने के लिए ऑटो, टैक्सी का भी लोगों को सहारा लेना पड़ा।
कश्मीरी गेट आईएसबीटी : जांच और टीकाकरण भी
हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के शहरों में जाने वाले यात्रियों की भीड़ शाम तक लगी रही। यहां यात्रियों की सुविधा के लिए जांच और टीकाकरण की सुविधा भी मुहैया की जा रही है, ताकि यात्रियों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। हालांकि, दूसरे बस अड्डों की तुलना में यहां भीड़ कम थी। जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, ऐसा लगने लगा कि दो दिन के कर्फ्यू से पहले रात्रि कर्फ्यू की बंदिशों से दूर अपने घरों में बिताना चाह रहे हैं।
निर्माण चलते रहेंगे, चिंता न करें : जैन
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि दिल्ली में साप्ताहिक कर्फ्यू लगा है, लॉकडाउन नहीं। इसलिए मजदूरों एवं प्रवासी कामगारों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। दिल्ली में केवल साप्ताहिक प्रतिबंध लागू है। कोरोना की रोकथाम के लिए मास्क लगाना और सामाजिक दूरी का पालन करना ही बचाव के उपाय हैं।
गंभीर लक्षण होने पर ही अस्पतालों का रुख करें। होम आइसोलेशन में इलाज संभव है। वहीं, होम आइसोलेशन की अवधि घटाकर सात दिन कर दी है। सात दिन के होम आइसोलेशन खत्म होने के अगर तीन दिन तक बुखार नहीं आता तो जांच कराने की जरूरत नहीं है, लोग अपने काम पर वापस लौट सकते हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए कड़े नियम लागू किए हैं। दिल्ली में लॉकडाउन नहीं लगा है। निर्माण कार्य पहले की तरह सामान्य रूप से चलते रहेंगे।
वित्तीय संकट से उबरना हो जाएगा मुश्किल
करावल नगर में रहने वाली प्रवासी श्रमिक मीना देवी ने कहा कि संक्रमण से अधिक चिंता इस बात की है कि अगर दोबारा लॉकडाउन की स्थिति आई तो वित्तीय संकट से उबरना मुश्किल हो जाएगा। वहीं, लाजपत नगर में एक घरेलू सहायिका पोकयाला ने कहा कि दूसरी लहर में पहले ही वित्तीय स्थिति कमजोर हो चुकी है। अगर दोबारा ऐसी स्थिति आई तो रीढ़ टूट जाएगी।
पिछले लॉकडाउन को याद करते हुए कहा कि परिवार के पास पर्याप्त भोजन नहीं था, इसलिए पति ने जीवनयापन करने के लिए कार धोने का काम किया। दिल्ली सरकार से भी उस दौरान मदद मिली थी। बिहार के भागलपुर से 20 साल पहले दिल्ली आई लक्ष्मी ने कहा कि लॉकडाउन में गरीबों पर सबसे अधिक मार पड़ी है।
बारापुल्ला फेज-3 में निर्माण स्थल पर काम करने वाले कमलेश प्रजापति ने कहा कि अभी तक निर्माण गतिविधियों पर रोक नहीं है, लेकिन निर्माण स्थलों पर श्रमिकों की संख्या कम होने लगी है। सख्त प्रतिबंधों या संभावित लॉकडाउन का श्रमिकों में डर हैं, इसलिए संख्या में कमी हो रही है। प्रगति मैदान सुरंग परियोजना में काम करने वाले रामनाथ जाटव को भी रोजगार की चिंता सताने लगी है।
सम-विषम नियम का नहीं हो रहा पालन
बाजारों में सम-विषम नियम का पालन नहीं होने पर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने नाराजगी व्यक्त की है। इसके चलते डीडीएमए ने सभी जिला प्रशासन को सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, आदेश दिया है कि गैर आवश्यक वस्तुएं बेचने वाली दुकानों को संख्याबद्ध किया जाए।
शुक्रवार के जारी निर्देशों में कहा गया है कि सभी जिलाधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में बाजारों पर खास निगरानी रखें। हर इलाके में डीएम सभी दुकानों पर नंबर अंकित करें। पत्र में लिखा, यह भी देखने को मिल रहा है कि दुकानदार मनमानी के हिसाब से दुकानें खोल रहे हैं।
सरोजिनी नगर मार्केट की चार दुकानें सील
कोविड नियमों का पालन नहीं करने पर सरोजिनी नगर मार्केट की चार दुकानें सील कर दी गई। सरोजिनी नगर मार्केट की दुकानों पर पहले ही सामाजिक दूरी का पालन करने और मास्क लगाने सहित सभी ऐहतियातों का पालन करने के निर्देश दिए गए थे। इसका पालन न होने पर जिला प्रशासन की टीम ने कार्रवाई की है।
सरोजिनी नगर मिनी मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक रंधावा का कहना है कि सप्ताह में कुछ दुकानें तीन दिन तो कुछ दुकानें दो दिन ही खुल पा रही हैं। वीकेंड कर्फ्यू में दो दिन बंद रहने के बाद महीने में औसतन 10 से 11 दिन ही एक कारोबारी को दुकान खोलने का मौका मिलेगा। उन्हें बिजली, किराया, किस्त सहित कर्मियों को भी भुगतान करना है। सरकार की तरफ से राहत की घोषणा होनी चाहिए।