दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की जमानत याचिका खारिज कर दी है। यह याचिका आतंकवाद से जुड़ी फंडिंग मामले में दाखिल की गई थी, जिसमें निचली अदालत द्वारा जमानत न देने के आदेश को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद उसे निरस्त कर दिया।
इससे पहले 28 मई को कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था, जो अब सुनाया गया। एनआईए द्वारा दर्ज मामले में शब्बीर शाह पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने और आतंकवाद के लिए हवाला नेटवर्क के जरिए आर्थिक सहायता प्राप्त करने के आरोप हैं।
गवाहों की लंबी सूची, लेकिन कोर्ट से राहत नहीं
शाह के वकील ने अदालत को अवगत कराया कि इस केस में लगभग 400 गवाहों को पेश किया जाना है, जबकि अभी तक केवल 15 की गवाही दर्ज की गई है। बचाव पक्ष का तर्क था कि मुकदमे में देरी से न्याय मिलने में विलंब हो सकता है, इसीलिए अंतरिम जमानत दी जाए, लेकिन अदालत ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया।
एनआईए की कार्रवाई और गंभीर आरोप
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने शब्बीर शाह को 4 जून 2019 को हिरासत में लिया था। एजेंसी का आरोप है कि उन्हें पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के जरिए हवाला से धन प्राप्त होता था, जिसका उपयोग जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया जाता था। गिरफ्तारी के बाद से शाह कई बार जमानत की अर्जी लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें अब तक किसी भी स्तर पर राहत नहीं मिल सकी है।