क़तर की प्रतिक्रिया पर भारत में प्रसन्नता !

राहुल गाँधी, पी. चिदंबरम, मायावती, मनीष सिसौदिया, संजय राउत, अससुद्दीन ओवैसी, संजय सिंह ख़ुशी से झूम रहे हैं कि पिद्दी से देश क़तर तक ने भारत की बेइज्जती कर दी। वे खुश हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम की कथित तौर पर तौहीन करने वाली नूपुर शर्मा के मामले में भारत के राजदूतों को तलब कर लिया। टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर इन नेताओं ने मुस्लिम देशों की लगाई तोहमत का समर्थन करते हुए बयान जारी किये हैं कि कट्टर हिंदुत्व के कारण भारत को नीचा देखना पड़ा और माफ़ी मांगनी पड़ी। ओवैसी ने तो यह तक कह दिया कि ज्ञानवापी मस्जिद पर हुल्लड़ मचाने के कारण खाड़ी देशों के कच्चे तेल की 6 गुनी कीमत भारत को देनी पड़ रही है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने स्पष्ट किया है कि नूपुर शर्मा के कथन से भारत सरकार का लेनादेना नहीं, भारत सरकार की समावेशी सोच है और वह सभी धर्मों का सम्मान करती है। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जिन्होंने कश्मीर समस्या, अनुच्छेद 370 तथा आतंकवाद पर सदा हमारा साथ दिया है और नूपुर शर्मा के निष्कासन के फैसले का उन्होंने स्वागत किया। श्री बागची ने कहा कि हमने ओआईसी (मुस्लिम देशों के संगठन) तथा पाकिस्तान को साफ शब्दों में बता दिया कि वे सांप्रदायिक जहनियत और छोटी सोच के कारण भारत की आलोचना करते रहे हैं। हिन्दुओं तथा अन्य अल्पसंख़्यकों का लगातार उत्पीड़न करने वाले पाकिस्तान को तो कुछ बोलने का हक़ ही नहीं हैं।
जो लोग पश्चिमी बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हिन्दुओं के उत्पीड़न व नरसंहार, पलायन पर, हनुमान जयंती और नवरात्र पर पांच राज्यों में हिन्दुओं की हत्याओं व हमलों तथा कश्मीर घाटी में हिन्दुओं की एक के बाद एक हत्याओं पर और कानपुर में 3 जून को हिन्दुओं के ऊपर किये गए पूर्व नियोजित हमले पर आजतक होठ सिये हुए बैठे हैं वे क़तर, ओमान की प्रतिक्रियाओं पर इतने आनंदित क्यों हैं? वे स्पष्ट रूप से भारत के विरुद्ध अंतराष्ट्रीय साजिश रचने वाले गिरोह के मददगार हैं।

छपते- छपते: जम्मू कश्मीर के भद्रवाह में 13,500 फुट की ऊंचाई पर बने सोलहवीं शताब्दी के प्राचीन वासुकी मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। पुलिस दलील दे रही है कि मंदिर की तोड़-फोड़ दानपात्र चुराने आये बदमाशों ने की है, जबकि पुजारी का कहना है कि इस सुनसान स्थान पर, जहां साढ़े तेरह हजार फुट पर कोई आबादी नहीं है, विशेष अवसरों पर ही थोड़े बहुत दर्शनार्थी कभी-कभी आते हैं। दान पेटिका पहले ही खाली पड़ी थी। हिन्दू आस्था को चोट पहुंचाने के लिए यह कुकृत्य हुआ है। नूपुर शर्मा के बयान पर कोहराम मचाने वालों को मंदिर तोड़ने की इस घटना पर सांप क्यों सूंघ गया है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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