एम्स के चिकित्सकों की कर्त्तव्यनिष्ठा


4 नवंबर: भारत में डॉक्टरों को भगवान् समान माना जाता रहा है, यद्यपि पैसे की अंधी दौड़ ने इस धारणा को बदल दिया है। यह हर्ष का विषय है कि भौतिकवाद की चरम सीमा पर पहुंचने वाले समाज में आज भी मानवता एवं कर्त्तव्यनिष्ठा के दर्शन हो जाते हैं। यह भूमिका इसलिए बनानी पड़ी कि दिल्ली एम्स के चिकित्सकों ने एक असाधारण ऑपरेशन करके अपने कौशल व कर्त्तव्य परायणता का परिचय दिया है।

दिल्ली एम्स में सात वर्ष का एक बच्चा लाया गया जिसने खेल खेल में सिलाई मशीन की सुई निगल ली थी, जो बच्चे के फेफड़े में फंस गई थी। इस सुई को सर्जरी के ज़रिये निकालना जोखिम भरा और असंभव प्रतीत हो रहा था कि एम्स के चिकित्सक डॉ. विशेष जैन, डॉ. देवेन्द्र कुमार यादव तथा तकनीकी अधिकारी सत्य प्रकाश ने इस जटिल कार्य को सम्पन्न करने के लिए एक टीम बनाई। केस की हर पहलू से पड़ताल कर फेफड़े में फंसी सुई को सर्जरी के बाद चुम्बक से निकालना निश्चित हुआ।

डॉ. विशेष जैन स्वयं बाजार गये और एक शक्तिशाली चुम्बक खरीद लाये। सर्जरी होने पर फेफड़े में फंसी सुई को चुम्बक से बाहर खींच लाने में सफलता मिली और बच्चे का जीवन बच गया।

हम एम्स के इन दोनों चिकित्सकों और उनकी टीम को उनके कौशल व निष्ठा के लिए बधाई देते हैं। हमने ऐसे भी समाचार प्रकाशित किये हैं कि अमुक स्थान के अमुक सर्जन ने ऑपरेशन के बाद पेट में कैंची या तौलिया छोड़ दिया किन्तु डॉक्टर जैन व डॉ. यादव की कर्त्तव्य के प्रति निष्ठा अभिभूत करने वाली है। उन्होंने चिकित्सकों की गरिमा व प्रतिष्ठा बढ़ाई है और देश के चिकित्सकों के समक्ष ऊंचा आदर्श पेश किया है। “देहात” उनका और उनकी टीम का अभिनन्दन करता है।

इसी के साथ हमारा महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जी से आग्रह है कि वे डॉ. जैन व डॉ. यादव को उनकी सराहनीय कर्त्तव्यनिष्ठा के लिए पुरस्कृत व सम्मानित करें।

गोविन्द वर्मा

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