हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा हैं कि पंजाब में हरियाणा के मुकाबले 10 गुणा पराली फूंकी जाती हैं। राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में ही नहीं, अन्य राज्यों में भी वायु प्रदूषण की समस्या हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है।
खेदजनक स्थिति हैं कि प्रदूषण समाप्त करने में राज्य सरकारें नाकाम रही हैं और एक दूसरे पर दोषारोपण करने में जुटी हैं। यह माना जा सकता हैं कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण कुछ बढ़ता हो किन्तु यह जरूरी नहीं कि पराली ही प्रदूषण बढ़ने का एकमात्र कारण है। इसको जलाने पर प्रतिबन्ध तो होना जरूरी है लेकिन औद्योगिक इकाइयों व यातायात से भी प्रदूषण बढ़ता है। केवल किसानों को दोषी माना जाना उचित नहीं। यदि पराली प्रदूषण का कारण है तो उसका समुचित समाधान निकाला जाना चाहिए, न कि इसका दोष एकमात्र किसानों के सर मढ़ा जाये। राज्य सरकारों का रवैया दिखाता है कि वे पराली की समस्या को हल करना नहीं चाहते। एनजीटी तथा केंद्र को हस्तक्षेप कर राज्य सरकारों को बाध्य किया जाना चाहिए। अफसोस है कि प्रदूषण की समस्या सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गयी और उसका कोई समाधान निकलता नहीं दीख रहा है।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’