2 अक्टूबर: फुलवारीशरीफ बिहार का मुस्लिमबहुल, अति संवेदनशील, आतंकी गतिविधियों का केन्द्र और देश विरोधी तत्वों के सक्रिय एवं छिपे रहने का सुरक्षित ठिकाना है। इसकी स्थिति कैराना, देवबन्द, अलीगढ़, रामपुर जैसी है। यहां जाली पासपोर्ट, नकली भारतीय करेंसी तथा फर्जी आधार कार्ड बनाने का धंधा जोरशोर से चलता है। विदेशी हमलावरों के आगमन के साथ जब इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए सूफी फकीरों को भारत भेजा गया, तभी एक सूफी हज़रत मखदूम यहां आकर बस गए। अजमेर, बरेली, पीरानकलियर आदि स्थानों जैसी मुस्लिम समाज में आस्था है, वैसी ही फुलवारी शरीफ की शोहरत है। यहां की मजार को हजरत मखदूम सैयद शाह पीर मुहम्मद मुजीबुल्लाह कादरी रहमतुल्लाह अलैह की मजार कहा जाता है।
देश विरोधी तथा आतंकी गतिविधियों के रूप में फुलवारीशरीफ की पहचान सन् 1990 से होने लगी थी, जब यहाँ पाकिस्तान में प्रशिक्षित कुछ लोग पकड़े गए थे। (हिन्दू मुस्लिम आधार पर भारत के विभाजन में फुलवारी शरीफ आगे था) स्थानीय कांग्रेस नेताओं के रसूख के चलते अदालत ने गिरफ्तार लोगों को रिहा कर दिया था। आतंकी गतिविधियां बढ़ने पर आई. बी. इंटेलिजेंस व आर्मी इंटेलिजेंस ने 1993 में रिपोर्ट दी कि फुलवारीशरीफ आतंक तथा राष्ट्र विरोधी तत्वों का सुरक्षित केन्द्र बन चुका है।
राष्ट्रद्रोहियों को पकड़ने के लिए ए.टी.एफ, बिहार पुलिस, एनआईए ने फुलवारीशरीफ तथा बिहार के अन्य अनेक पनाहगाहों पर छापे मारे।। 3 जुलाई 2022 को एटीएफ ने दानिश नामक खतरनाक आतंकी को गिरफ्त्तार किया, जो पीएफआई, पाकिस्तान के आतंकी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक, बंगलादेशी आतंकियों के सम्पर्क में था और मुस्लिम युवकों को हथियार तथा बम चलाने का प्रशिक्षण देता था। दानिश उर्फ ताहिर के साथ झारखंड का रिटायर दरोगा जलालुद्दीन व अन्य कई भारत विरोधी लोग शामिल थे जो फुलवारीशरीफ में गजवा-ए-हिन्द की तहरीक चला रहे थे। मारकाट और सशस्त्र क्रान्ति के बल पर 2047 तक भारत को मुस्लिम देश बनाने की उनकी योजना थी। दानिश और उसके साथी जिहाद के लिए देश-विदेश से धन एकत्र करने और युवकों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने में संलग्न पाये गए। उनके कब्जे से अनेक हथियार,दस्तावेज व इलेक्ट्रानिक सबूत मिले हैं। फुलवारीशरीफ के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने इन सभी तथ्यों की पुष्टि की है। दानिश के अलावा हसीन रज़ा (गोधरा कांड का मुख्य अपराधी), शमीम सरवर उर्फ पीर बाबा, अतहर परवेज, तनवीर रज़ा, मुहम्मद आबिद आदि समय-समय पर गिरफ्तार हुए हैं। मुस्लिम युवकों को जिहाद की ट्रेनिंग देने वाला याकूब और कुछ जिहादी अभी फरार चल रहे हैं।
इस प्रकार फुलवारीशरीफ गजवा-ए-हिन्द के प्रचार का केन्द्र बन चुका है लेकिन सत्तारुढ़ नेता तुष्टिकरण में लगे रहते हैं। हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा और शान्ति सद्भाव के नाम पर मजार में हाजरी लगाते हैं। अभी 27 सितम्बर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लाव-लश्कर के साथ फुलवारीशरीफ पहुंचे। सिर पर चादर रख कर मजार की चादरपोशी की और भाईचारे के गीत गाये। नीतीश के साथ फुलवारीशरीफ नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष आफताब आलम, शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष, दो कैबिनेट मंत्री तथा पीर के सचिव मिन्हाजुद्दीन कादरी भी थे।
नीतीश कुमार का हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा कैसा है? रामनवमी के जुलूस पर जब नालंदा में कट्टरपंथियों ने हमला बोला तो पूरा स्टेशनरी बाजार व ऑटो रिक्शा का गोदाम भस्म हो गया था। नीतीश कुमार ने अनूप कुमार व अरुण कुमार को मुआवजे के एक-एक लाख रुपये दिए, जबकि मदरसे के संचालक ने 3 करोड़, 20 हजार रुपये की क्षति का दावा किया था। नीतीश कुमार ने मदरसे को 30 करोड़ रुपये प्रदान किये। यह भाईचारा और धर्मनिरपेक्षता की मिसाल हैं। राष्ट्र की सुरक्षा और सम्प्रभुता भाड़ में गईं। देश में अनेक फुलवारीशरीफ राष्ट्रवाद को चुनौती देने को खड़े हैं।
गोविन्द वर्मा