7 नवंबर। जीआरपी सूत्रों तथा प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार देहरादून से आनंद विहार जा रही 22458 वन्देभारत एक्सप्रेस ट्रेन पर सोमवार सुबह खतौली और सकौती रेलवे स्टेशनों के बीच पथराव किया गया। जीआरपी तथा आरपीएफ कर्मियों ने क्षतिग्रस्त कोच का निरीक्षण किया।
29 मई में पहली वंदेभारत ट्रेन के परिचालन के पश्चात् पूरे भारत में 100 से भी अधिक बार इन ट्रेनों पर पत्थरबाजी व तोड़फोड़ हो चुकी है। मीडिया इसका दोष अराजकतत्वों पर मढ़ता है। यह चिन्तन का विषय है कि वंदेमातरम् का विरोध भी इसी देश के नेताओं ने किया। पहला राफेल आने पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विमान पर शुभ का प्रतीक स्वास्तिक बनाकर विधि-विधान से पूजा के उपरान्त विमान को वायुसेना को समर्पित किया था तब भी कथित सेक्युलरवादियों के पेट में मरोड़ उठी थी। सरकार, रेलवे और मीडिया को यह भ्रम फैलाने से बाज आना चाहिये कि पूरे भारत में ‘अराजकतत्व’ वन्देभारत ट्रेनों के पीछे हाथ धोकर पड़ गए हैं, असलियत है कि कश्मीर में सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी करने वाली ज़हनियत पूरे देश में फैल चुकी है।
अफसोस है कि वंदेभारत ट्रेनों पर बार-बार हमले व पत्थरबाजी होने के बाद जीआरपी या सिविल पुलिस ने एक भी हमलावर को पकड़ कर सीखचों के पीछे खड़ा नहीं किया। यह इस बात का प्रमाण है कि रेलवे व जीआरपी में निकम्मे व लापरवाह गैर जिम्मेदार लोगों की फौज भर्ती है जिसे सिर्फ वेतन भत्तों से दरकार है।
कितने आश्चर्य का विषय है कि 6 नवंबर को वंदेभारत ट्रेन पर हुए पथराव मे जीआरपी का दरोगा, मुज़फ्फरनगर व खतौली रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर इस घटना पर लीपापोती करने में जुटे हैं और ऐसी किसी घटना से इंकार कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 19 जून को मुजफ्फरनगर में जड़ौदा नरा रेलवे स्टेशन के पास ग्राम संघावली के समीप वंदेभारत ट्रेन पर पथराव किया था। ट्रेन के यात्रियों ने भी घटना के विषय में बताया था लेकिन जड़ौदा नरा के स्टेशन मास्टर ने इस घटना से साफ इंकार कर दिया था।
पथराव करने वालों की खोजबीन व गिरफ्तारी करने के बजाय जीआरपी व रेलवे के अधिकारी, अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। यह गम्भीर स्थिति है। रेलवे मंत्री और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को इस ओर तुरन्त ध्यान देना चाहिए।
गोविन्द वर्मा
संपादक 'देहात'