जिस समय आप ये पंक्तियाँ पढ़ रहे होंगे, तब महाराष्ट्र के मतदाता फैसला दे चुके होंगे कि वे महाराष्ट्र में छत्रपति संभाजी महाराज के राष्ट्रवाद समर्थकों को सत्ता सौपेंगे अथवा महाराष्ट्र में संभाजी महाराज की क्रूर हत्या करने वाले औरंगजेब व हैदराबाद रियासत के 40,000 हिन्दूओं का नरसंहार करने वाले रजाकारों की औलादों के पिट्दुओं को चुनाव में कामयाब करेंगे।
निश्चित रूप से उत्तरप्रदेश के उपचुनाव तथा महाराष्ट्र विस के चुनाव छद्म सेक्यूलरवादियों, हैदराबाद के रजाकारों की औलादों के गठबंधन, हिन्दू-सनातन विरोधियों और सनातन धर्म रक्षकों के बीच होने वाले भीषण टकराव का मार्ग प्रशस्त करेगा।
अससुद्दीन ओवैसी और उसके भाई अकबरुद्दीन ने औरंगाबाद (संभाजीनगर) में 15 मिनट में 'काट देने' का वीडियो वायरल कराया। औरंगाबाद वही शहर है जहां छत्रपति संभाजी और लाखों हिन्दुओं के हत्यारे औरंगजेब की कब्र है। मुज़फ्फरनगर के मीरांपुर उपचुनाव में मुस्लिमों को भड़काने को आने से पहले औवेसी औरंगजेब की कब्र पर खिराज-ए-अकीदत पेश करने गया और फिर अपना काटने वाला एजेंडा दोहराया।
देश में बड़ी साजिशें चल रही हैं, 1947 से भी बड़ी। बांग्लादेश में हिन्दुओं के नरसंहार पर खतरनाक चुप्पी साधे बैठे हिन्दू नेता भारत में मुस्लिमों के अस्तित्व का खतरा बता रहे हैं। जिन सम्भाजी को औरंगजेब ने धोखे से गिरफ्तार कर उनका सिर कलम कर शव को 11 मार्च, 1689 को भीमा नदी में बहा दिया, ऐसे राष्ट्रभक्त को भाजपा के दामन में छिपा बैठा अजीत पवार कह रहा है कि सम्भा धर्मवीर मराठा नहीं था।
भारत में वोट जिहाद के साथ 2047 के फाइनल युद्ध को तैयारी में राजाराम मराठा और जयचन्द जैसे गद्दार ताल ठोक कर देशद्रोहियों के साथ खड़े हैं। अभी छोटी-मोटी लड़ाइयां चल रही है। आने वाला समय महासंग्राम का होगा। राहुल ठीक कह रहा है- डरो मत, डरो मत। निश्चित ही डरोगे तो मरोगे। डरने का समय गुजर चुका है। जिन्दा रहने के लिए निर्भीक और एक रहना ही होगा।
गोविन्द वर्मा