प्रिय पाठकवृन्द,
पिछले 15-20 दिनों से तन और मन से स्वस्थ न होने के कारण मैं ‘देहात’ के लिए कुछ लिख नहीं सका यद्यपि इस बीच कई ऐसे घटनाक्रम हुए जिन पर मुझे सामयिक टिप्पणी करनी चाहिए थी।
मैं बताना चाहूंगा कि 28 सितंबर, 2024 को मेरे सबसे छोटे भ्राता तरुण वर्मा की सांसारिक यात्रा पूरी हो गई। मुजफ्फरनगर के प्रमुख सनातनी विद्वान एवं कर्मकांडी पं. हरिमोहन शर्मा जी ने शुकतीर्थ के शमशानघाट पर अंत्येष्टि क्रिया संपन्न कराई। ब्रह्मभोज से पूर्व विधि-विधान से शान्ति यज्ञ संपन्न कराया।
तरुण ने पिताश्री के निधन के पश्चात वैराग्य धारण कर लिया था तथापि वह काफी लिखा पढ़ा था और भूगोल में एमए किया हुआ था। उसने विवाह नहीं कराया और शुकतीर्थ स्थित श्रीराम दरबार को अपना आश्रय बना लिया था। 35 वर्षों तक श्रीराम दरबार में जीवन व्यतीत कर अन्तिम सांस भी वहीं ली।
श्रीराम दरबार शुक्रताल के संस्थापक एवं संचालक मान्यवर पंडित श्रीमोहन जी एवं उनकी सहधर्मिणी, दोनों ने ही भाई तरुण के आश्रम में रहने के समय उसकी दैनिक आवश्यकताओं- भोजन, वस्त्र, दवा-इलाज सदा उपलब्ध कराया जिसके लिए मैं इन दोनों का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ और इनका कृतज्ञ हूँ।
श्रीराम दरबार की सेवा में संलग्न वृद्धा माता व उनके पति ने भाई तरुण के लिए दोनों समय का भोजन, चाय आदि बना कर उपलब्ध कराया, आश्रम को साफ-सुथरा बनाये रखने में तत्पर रहे। इनका भी अति आभार। गौड़ीय मठ के स्वामी शक्तिभूषण गोविन्द महाराज जी, गौड़ीय मठ के बाल महाराज जी का तरुण को वर्षों सहयोग व आशीर्वाद मिलता रहा, इन सज्जनों के प्रति मैं अति कृतज्ञ हूं। महामंडलेश्वर स्वामी केशवानन्द जी महाराज (श्री हनुमतधाम) का तरुण व हम सभी पर सदा आशीर्वाद रहा, उनके श्रीचरणों में मेरा नमन् ।
बीमारी के दौरान और सामान्य दिनों में भी आश्रम के सामने रहने वाली बहिन सुनीता तथा उनकी पुत्री दीपिका व अन्य बहिनों ने तरुण की सेवा-सुश्रवा में कोई कसर नहीं रखी। मैं सपरिवार उनका आभारी हूँ।
मैं अपने छोटे भाइयों व अन्य परिजनों के प्रति आभार प्रकट करता क्यूंकि मैं जन्मानुसार इनका बड़ा भाई हूँ। छोटे भ्राता अरविन्द, उन की पत्नी शिक्षा, पुत्र गुंजन, अरुण वर्मा एडवोकेट व उनकी पत्नी बालेश व पुत्र अमित ने दिवंगत तरुण की भरपूर सेवा की। विशेष रूप से वकील साहब व उनकी धर्मपत्नी व पुत्र ने हर समय आश्रम में उपस्थित होकर तरुण की देखभाल और सेवा की, मदद भी भरपूर की। मेरे भतीजे अमित का परिवार के प्रति इतना लगाव है कि बहन चित्रा, भाई तरुण के दिवंगत होने पर भतीजे अमित ने ही मुखाग्नि (दाग) दी। तरुण के अन्य साथियों, मित्रों, सहयोगियों के प्रति भी कृतज्ञता प्रकट करता हूँ। तरुण के स्थूल शरीर त्यागने के पश्चात मुझे ज्ञात हुआ कि आगरा में रह रहे मेरे छोटे भाई राजगोपाल सिंह वर्मा मनी ट्रांसफर के जरिये तरुण की आर्थिक मदद करते रहे, उनका भी आभार!
छोटे पुत्र व छोटे भाई के असमय चले जाने का कष्ट प्रभु किसी को न दें। परम पिता परमात्मा से तरुण की आत्मा की शान्ति की प्रार्थना करता हूं। ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
गोविन्द वर्मा
संपादक 'देहात'