कई राजनीतिक दल और उनके नेताओं ने अपनी राजनीतिक स्वार्थसिद्धि के लिए अनेक वर्षों से अदानी एवं अम्बानी उद्योग समूहों के विरुद्ध प्रचार अभियान चलाया हुआ है। इस दुष्प्रचार का विपरीत प्रभाव देश में कहीं न कहीं दृष्टिगोचर हो जाता है।

केरल के विझिंजम इलाके में अदानी समूह की बन्दरगाह परियोजना के विरुद्ध क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के नेतागण और धार्मिक समूहों के मठाधीश आम जनता को गुमराह कर जबरदस्त हिंसक आन्दोलन चला रहे हैं। केरल सरकार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) एम.आर.अजित कुमार ने विझिंजम में अदानी समूह के विरुद्ध चलाए जा रहे हिंसक आन्दोलत के विषय में पत्रकारों को बताया कि नेताओं के भड़‌काने पर रविवार को 3500 लोगों की उग्र भीड़ ने अचानक पुलिस पर हमला कर दिया जिससे 36 पुलिसकर्मी घायल हो गए। एक एस.आई. के पैर की हड्डी टूट गई। एडीजी ने बताया कि भीड़ लोहे के सरिये, डंडे व पत्थर लिए हुई थी। पुलिस वाहनों को नष्ट कर दिया और कार्यालय उपकरणों को तोड़ डाला। भीड़ को भड़काने के आरोप में कैथोलिक गिरजाघर के 15 पादरियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई।

गत वर्ष विपक्षी नेताओं के भड़काने से कर्नाटक में अमेरिकी कम्पनी एप्पल के कारखाने में आग लगवाई गई जिससे 4000 करोड़ रुपये की क्षति हुई। काले कानून बता कर पंजाब के किसानों को भड़‌काया गया और अदानी का कारखाना व वेयर हाउस जबरन बंद करा दिए गए तथा अम्बानी के मोबाइल टॉवर्स की बिजली काट दी गयी। टोल फ्री कर अरबों रुपये की राष्ट्रीय क्षति पहुंचाई गई। सबसे अधिक अदानी-अम्बानी राहुल गांधी कर रहे हैं जिनके नानाजी ने मिश्रित अर्थव्यवस्था की नीव डाली थी और जो जी.डी. बिरला व सेठ जमनादास बजाज के आगे-पीछे घूमते थे। उद्यमियों के सहयोग के बिना मिश्रित अर्थव्यवस्था में कोई सरकार काम नहीं कर सकती।

गोविंद वर्मा
संपादक 'देहात'