विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली तथा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर विभाग आचोलना व निन्दा का पात्र बना रहता है। बढ़े हुए बिजली बिल, धनराशि कम कराने में सौदेबाजी व बिजली चोरी को लेकर मारे गए छापों की किसान नेता, सत्ता व विपक्ष के लोग अक्सर शिकायतें करते हैं। कभी-कभी तो यूनियन के नेता बिजली घरों पर उपद्रव व तोड़फोड़ कर बिजली विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों को बंधक बना लेते हैं। एक किसान नेता ने बयान दे दिया कि बिजली मीटर उखाड़ डालो तो दूसरे ने फरमान जारी किया कि मीटर चैकिंग करने रात में आने वाले बिजली कर्मचारी को बंधक बना लो।
यह स्थिति अराजकता को प्रोत्साहन देने वाली है। प्रश्न है कि ऐसे हालात पैदा ही क्यों हुए कि नेता उपद्रव को उकसायें और उपभोक्ता अधिकारियों-कर्मचारियों की जेबें गर्म करने को विवश हों। कभी मुजफ्फरनगर में सी.डी. माथुर, एस.एस. शर्मा, एस. के. अग्रवाल, किशन स्वरूप जैसे योग्य व कर्मनिष्ठ विद्युत् अधिकारी थे जो एक ओर विभाग में कड़ा अनुशासन रखते थे तो दूसरी ओर बिजली उपभोक्ताओं के हितों का भी ध्यान रखते थे। आज हालात बिल्कुल बदले हुए हैं। बिजली चोरों की दो श्रेणियां बन गई हैं। एक वह जो विभाग के कर्मियों के साथ सांठगांठ करते हैं, दूसरे वह जो मुठमर्दी व लाठी-डंडे के बल पर बिजली चुराते हैं, तभी टकराव की नौबत आती है।
बिजली विभाग के कर्मी किस प्रकार से उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं, इसका उदाहरण हाल ही में सामने आया। मुज़फ्फरनगर के रुड़की रोड विद्युत उपकेन्द्र पर तैनात अवर अभियन्ता (जेई) मनीष गुप्ता ने मौहल्ला महमूदनगर के उपभोक्ता जहांगीर का बिजली मीटर उसकी गैर मौजूदगी में चैक किया। जहांगीर बढ़ई का काम करता है और अक्सर काम के लिए बाहर रहता है। जेई ने जहांगीर को बताया कि उसका बिजली का मीटर खराब है। एक लाख 77 हजार रुपये का बिल जुर्माने के साथ बैठता है। आधी रकम माफ़ करा दूंगा। पैसे लगेंगे। जहांगीर ने पत्नी के गहने बेच कर 60 हजार रुपये की रिश्वत जेई को दी। बाद में 15 हजार रुपये और दिये। जेई ने 5000 और लेने का दबाव बनाया तो जहांगीर ने एंटी करप्शन विभाग सहारनपुर को सूचित किया। 23 अगस्त को जब कच्ची सड़क की एक गली में वह जेई मनीष गुप्ता को 5 हजार रुपये दे रहा था, तब सहारनपुर से आई टीम ने अवर अभियन्ता को रंगेहाथ रिश्वत लेते पकड़ लिया।
दूसरी घटना 30 अगस्त की है। ग्राम अलीपुर अटेरना बिजली घर पर तैनात जेई ने मोबीन नामक व्यक्ति से घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए 14 हजार रुपये मांगे। 4 हजार रुपये मोबीन ने दे दिये। 10 हजार रुपये देते हुए वीडियो बना लिया। वीडियो वायरल हुआ तो विभाग ने जे.ई. को निलंबित कर दिया।
इस स्थिति के लिए सर्वप्रथम बिजली उपभोक्ता दोषी है जो उपभोक्ता मुफ्त की या चोरी की बिजली का उपभोग करने के आदी हैं, वे ही विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को गलत रास्ते पर लगाते हैं। जब मुँह में खून लग जाता हैं तो छोटे उपभोक्ताओं को भांति-भांति के हत्कंडों से परेशान किया जाता है और अवैध वसूली होती है। यह ऐसा दुष्चक्र है जो किसी से टूट नहीं रहा है।
गोविन्द वर्मा