कश्मीर आज भी हिन्दुओ, कश्मीरी पंडितो और गैर कश्मीरियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। 12 मई को बड़गाम तहसील कार्यालय में घुसकर आतंकियों ने जान-भूजकर सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट की जिस प्रकार से नृशंस हत्या की है, वह दर्शाती है कि घाटी में गुपकार ग्रुप महबूबा और अब्दुल्ला परिवार के गुर्गों का बोल बाला है। अफ़सोस है हजारों करोड़ो रुपये के पैकेज देकर सरकार जिहादियों से घाटी को मुक्त नहीं करा पाई। सख्ती के बिना कश्मीर में पाकिस्तान समर्थकों का एजेंडा चलना मोदी सरकार कि बड़ी नाकामी है। पूरा देश कश्मीरी पंडितों के उत्पीड़न से आक्रोशित है।

गोविंद वर्मा

संपादक 'देहात '