पर्यावरण का संकट !

देश के प्रमुख पर्यावरण विद पद्मभूषण अनिल प्रकाश जोशी मुंबई से देहरादून तक की साइकिल यात्रा पर जाते हुए 6 नवंबर को खतौली के कुंद कुंद जैन पब्लिक स्कूल में आयोजित शिक्षकों एवं छात्रों के कार्यक्रम में पधारे। श्री जोशी ने कहा कि मनुष्य द्वारा प्रकृति की उपेक्षा के कारण प्रकृति धीरे-धीरे हमारा साथ छोड़ रही है। लाभप्रद प्राकृतिक जीवन लौटाने के लिये हमें अपनी जीवनशैली और आदतों में परिवर्तन करना होगा।

पर्यावरण प्रदूषण और प्रकृति की उपेक्षा का कुफल आज हर अमीर-गरीब भोग रहा है। मौसमों के असंतुलन से बाढ़ व सूखे की स्थिति दिनों दिन गहराती जा रही है। अप्राकृतिक साधनों, मशीनीकरण, अनियोजित औद्योगीकरण तथा वाहनों की रेल पेल के दुष्परिणाम हमारे सामने हैं। यह एक संयोग है कि अनिल प्रकाश जोशी ने खतौली में पर्यावरण सुरक्षा के प्रति आगाह किया तो मिस्र शर्म-अल-शेख शहर में 27 वां जलवायु परिवर्तन सम्मलेन शुरू हुआ जिसमें ग्लोबल वार्मिंग के संकट पर 200 देशों के प्रतिनिधिगण भाग ले रहे हैं। इधर सिसौली (मुजफ्फरनगर) में आर्य सम्मेलन में प्रमुख आर्यजन गुरूदत्त आर्य एवं अन्य आर्य विद्वानों ने पर्यावरण सुरक्षा, प्राकृतिक जीवन पद्धति अपनाने और हवन-यज्ञादि करने का परामर्श दिया।

प्राकृतिक जीवन की ओर बढ़ने की यह गति अति क्षीण है। मनुष्य स्वयं के लिये संकट पैदा कर चुका है अतः आवश्यक है कि प्रकृति की ओर लौटने के प्रयास को आज का मानव धर्म मान कर सब चलें। इसके लिये प्राणपण से प्रयास करने की आवश्यकता है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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