27 अक्टूबर: कभी देश की सबसे पुरानी, सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष रहे, जिनके पड़नाना, जिनकी दादी और पिता देश के प्रधानमंत्री रहे हों, जिनके पुरखे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले नेताओं का चयन करते हों और जो राज्यों की हुकूमतों को चलाने वालों को शतरंज की गोटों की भांति उलटते-पलटे हों, जिनके आलीशान महल को चौहद्दीं में प्रवेश करने के लिए खुर्राट नेताओं को बरसों 10 जनपथ की चौखट पर नाक रगड़ती पड़ती हो, राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री बनने की लालसा में उस जगह एक अति अविश्वतीय, महाझूठे, कूड़ेदान में पड़े शख्स को ला बैठाया, इस पर देश हैरान है और राहुल गांधी के समर्थक खुद को लज्जित महसूस कर रहे हैं, भले ही चापलूस मंडली हां में हां मिलाने और वाहवाई की तालियां पीट रही हो।
राहुल गांधी के सलाहकारों ने उन्हें खेत में जा कर धान रोपने की सलाह दी, ट्रक ड्राइवर के साथ बैठने, बढ़ई का रन्दा चलाने, मोटर मैकेनिक का पेंचकस चलाने, आजादपुर सब्जी मंडी जा कर भिंडी बेचने और आनंद विहार बस अड्डा पहुंच कुली बनने की सलाह दी। लेकिन जो व्यक्ति अपने गाँव में प्रधान का चुनाव नहीं जीत सकता या किसी को जितवा सकता, वह आदमी क्या इतना प्रभावशाली और राजनीति के अखाड़े का उस्ताद बन गया है कि वह नरेन्द्र
मोदी को कुर्सी से उतार तुम्हें प्रधानमंत्री का सिंहासन दिलवा देगा?
आपने तो यह मान लिया है कि जिस काम में आप 2014 से जुटे पड़े हैं, उसे बेपेंदी का लोटा कामयाब करा देगा? कुली से पत्रकार बनने की नौटंकी में क्या आपको यह चला हुआ कारतूस ही मिला था? उसने मोदी को हराने का सर्टिफिकेट देने की बात कही और अडाणी का नाम घर-घर पहुंचाने की बधाई दी तो आप फूल कर कुप्पा हो गए! उसने कहा कि चौधरी चरण सिंह में प्रधानमंत्री बनने के गुण नहीं थे, आप मान गए, जम्मू-कश्मीर में पुलिस की बगावत न होने
का पाठ पढ़ाया आप मान गए, पुलवामा में आपकी रणनीति से सहमति जताई तो आप खुशी से झूम उठे। यह आपकी निराशा या हताशा है कि ऐसे व्यक्ति को बगलगीर किया जो आपके पप्पी (कुत्ते) के पास बैठने की हैसियत नहीं रखता।
यह ठीक है कि इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने आपके ही एजेंडे को आगे बढ़ाया लेकिन यह काम तो आप बरसों से करते चले आ रहे हैं! आपने ऐसा करके कांग्रेस व अपने पुरखों के नाम को बट्टा लगाया है। या तो अपने सलाहकार बदलिये या खुद अपने दिमाग का इस्तेमाल किया कीजिये। यह इंटरव्यू यदि आपके दिमाग की उपज है तो कांग्रेस का खुदा ही मालिक है।
गोविन्द वर्मा