30 मई, 2024 को डिस्ट्रिक्ट प्रेस क्लब, मुजफ्फरनगर की ओर से स्टेशन रोड स्थित एक रेस्तरॉ में हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाया गया। समारोह में जनपद के पत्रकार, प्रेस फोटोग्राफर्स तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोगों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे उत्तर प्रदेश शासन के राज्य मंत्री कपिलदेव अग्रवाल ने कहा कि प्रिंट मीडिया आज भी अपनी सार्थकता और महत्व बनाये हुए है। उन्होंने मुजफ्फरनगर की मीडिया की सकारात्मिकता की प्रशंसा करते हुए उसके प्रति अपने सहयोग का आश्वासन दिया और पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत पत्रकारों एवं छवि कारों को सम्मानित किया। डिस्ट्रिक्ट प्रेस क्लब के अध्यक्ष रवीन्द्र चौधरी तथा आगंतुक पत्रकार साथियों व मुख्य अतिथि को धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर वक्ता पत्रकारों ने बताया कि 30 मई, 1826 को जुगल किशोर शुक्ल ने कोलकाता (तब कलकत्ता) से 'उदन्त मार्तण्ड' नामक प्रथम हिन्दी समाचार पत्र का प्रकाशन आरंभ किया था इसी लिए 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है।
30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाने की यह अधूरी जानकारी है। इसका सिलसिला उत्तरप्रदेश के सूचना विभाग से प्रारम्भ होता है। 50-60 के दशक के बीच प्रदेश का सूचना विभाग बाबू सम्पूर्णानन्द एवं पंडित कमलापति त्रिपाठी के पास रहा। दोनों महानुभाव वाराणसी के थे। वाराणसी के ही निवासी ठाकुर प्रसाद सिंह सूचना निदेशक बने। तब सूचना विभाग में काशी नाथ उपाध्याय 'भ्रमर', लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय', सुरेश जोशी, ध्रुव मालवीय, बलभद्र मिश्र, जगमोहन लाल अवस्थी जैसे पत्रकार-साहित्यकारों की तैनाती थी जो अनन्य हिन्दी प्रेमी थे।
सूचना निदेशक के नाते ठाकुर प्रसाद सिंह जी ने अपने सहयोगियों की बैठक बुलाई और बैठक में कहा कि देश में टीचर्स-डे, इंजीनियर्स-डे, डॉक्टर्स-डे, आदि आदि दिवस मनाये जाते है किन्तु हिन्दी पत्रकारों का कोई दिवस नहीं मनाया जाता। क्यूं न उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशन दिवस 30 मई से हिन्दी पत्रकारिता दिवस पूरे प्रदेश में मनाया जाए। उनके प्रस्ताव को सूचना विभाग उ.प्र. के सभी अधिकारियों ने सराहा। तब श्री सिंह ने उदन्त मार्तण्ड के मास्ट हेड (टाइटल) का फोटो, जुगल किशोर शुक्ल का परिचय रूपी पुस्तिका व चित्र, पत्रकार शिरोमणि गणेश शंकर विद्यार्थी का बड़ा फोटो उत्तरप्रदेश भर के जिला सूचना अधिकारियों को भिजवाये तथा निर्देश दिया कि 30 मई को जिला सूचना कार्यालयों में हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाया जाए। कुछ वर्षों तक यह परम्परा जारी रही। इसके लिए सरकारी बजट भी बना था। बाद में पत्रकार संगठन इसे अपने स्तर पर मनाने लगे।
गोविंद वर्मा
संपादक 'देहात'