हमारी धारणा है कि किसी विषय, व्यक्ति अथवा वस्तु के बारे में कोई पक्का दावा करना किसी के लिए भी उचित व संभव नहीं है, क्यूंकि यह दावा या धारणा किसी क्षण टूट अथवा गलत सिद्ध हो सकती है।
कुछ नेता जनता या मतदाताओं को अपने झूठ, फरेब, छल, प्रपंच के हथकंडों से सत्ता हथियाने अथवा सत्ता पर बने रहने की नौटंकी करते रहने में माहिर हैं। इनमें तीन नाम टॉप पर हैं- अरविन्द, राहुल और ममत। तेजस्वी, अखिलेश, ओवैसी और संजय राउत आदि के नाम बाद में हैं। जिन लोगों की दुकानें मोदी के कारण ठप्प हो गई हैं या बन्द होने की कगार पर हैं, मन में गंदगी, घृणा, द्वेष व ईर्ष्या पाले बैठे कुछ लोग नरेन्द्र मोदी का भी नाम लेते हैं लेकिन इस समय तो केजरीवाल ही टॉप पर हैं- तीनों में सबसे आगे।
लोकसभा की 543 सीटों में से सिर्फ और सिर्फ 22 सीटों पर खास आदमी पार्टी के उम्मीदवार खड़े करने वाले केजरीवाल 140 करोड़ देशवासियों से तख्तापलट कराना चाहते हैं। जेल से जमानत पर बाहर आते ही रट्टू तोते की तरह टर्राने लगे हैं लेकिन अपने शीशमहल में अपनी सांसद स्वाति मालीवाल को अपने व्यक्तिगत सहायक, (पीए) विभव कुमार से पिटवाने के बाद इस गुंडागर्दी की घटना पर चुप्पी साथ ली।
केजरीचाल के प्रवक्ता संजय सिंह ने मीडिया के रू-ब-रू होकर मालीवाल के साथ हुई 'अभद्रता' पर केजरीवाल की 'पीड़ा' का हवाला दिया और उनके पीए विभव कुमार की लानत मलानत की लेकिन घटना के चार दिन बीतने के बाद भी केजरीवाल ने विभव कुमार के विरुद्ध कुछ भी कार्यवाई नहीं की। उल्टे उसे अपने साथ वायुयान में बैठाकर लखनऊ उड़ गये। अखिलेश यादव के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में स्वाति मालीवाल की पिटाई का सवाल उठने पर फिर मुँह पर ताला डाल लिया और माइक अखिलेश की ओर चुपचाप खिसका दिया। तब अखिलेश ने पत्रकारों से कहा- 'इसे छोड़िये, और भी बड़े मुद्दे हैं। भाजपा की गुंडागर्दी की बात उठाइये।'
केजरीवाल के साथ लखनऊ गये विभव कुमार सपा कार्यालय के बाहर कार में बैठे थे तो पत्रकारों ने उनसे कुछ पूछने का प्रयास किया। उस कार की लगभग 20 लोगों ने घेराबंदी की हुई थी। कहते हैं ये खास आदमी पार्टी के कार्यकर्ता थे लेकिन शक्ल और व्यावहार से गुंडे-बाहुबली लग रहे थे। विभव कुमार की ओर बढ़ने वाले पत्रकारों व कैमरामेन को इन्होंने बुरी तरह धकिया दिया। विभव से मिलने नहीं दिया। इसके वीडियो मौजूद हैं। इन सब पाबंदियो और लुकाछिपी के बावजूद लखनऊ एक साथ गये केजरीवाल तथा मालीवाल की पिटाई करने वाले विभव कुमार के फोटो खूब वायरल हो गए जो केजरीवाल के पाखंड की पोल खोलने को काफ़ी हैं। वैसे केजरीवाल की गुंडागर्दी का प्रमाण तो तभी मिल गया था जब उसने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को अपने आवास पर पिटवाया था। केजरीवाल की गुंडागर्दी का तभी इलाज हो जाता तो महिला सांसद के पिटने की नौबत न आती। 21 फरवरी, 2018 को केजरीवाल के आवास पर तत्कालीन मुख्यसचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट की गई थी। मामला दबा दिया गया था।
यह तो सब केजरीवाल का किया धरा है लेकिन स्वाति की पिटाई के प्रकरण में इंडी गठबंधन के नेताओं ने क्यूं होठ सी गए हैं? लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ कहने वाली प्रियंका वाड्रा गांधी जरूर बोलीं कि यह स्वाति और केजरीवाल के घर का मामला है, आपस में सुलझा लेंगे, हम क्यूं बोलें? केजरीवाल की गुंडागर्दी ने इन सभी की पोल खोल दी।
गोविन्द वर्मा