वायनाड (केरल) में भयंकर भू-स्खलन, पत्थरों व गाद के बहाव तथा तबाही लाने वाली भारी वर्षा से 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोगों के मलबे में दब जाने के 3 दिन बाद राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ वायनाड पहुंचे। यहाँ की रिक्त लोकसभा सीट के उपचुनाव में प्रियंका को उम्मीदवार बनाना है तो 3 दिन बाद उनका वायनाड जाना तो बनता ही था। दैवी आपदा के 3 दिनों बाद भाई-बहन के आगमन पर वायनाड वालों ने रोष प्रकट किया लेकिन वे राहुल के वोटर नहीं थे। राहुल के प्रशंसकों ने तो घोर प्राकृतिक त्रासदी के बावजूद उनके साथ फोटो खिंचवाये, जहाँ 25 कैमरामेन वीडियो बनाने में व्यस्त थे।

इस पर कोई आश्चर्य जताने की जरूरत नहीं क्योंकि जार्ज सोरोस द्वारा वित्तपोषित मीडिया राहुल का फोटो सेशन आयोजित करेगा ही, उसे वायनाड में आपदा पीड़ितों की सहायता में जुटे राष्ट्रीय स्वयं सेवकों के कार्यों की ओर फोकस करने की जरूरत नहीं। यदि मीडिया ऐसा करता तो आरएसएस को पानी पी-पी कर कोसने वाले राहुल नाराज हो जाते।

अपनी परंपरा, अपने सिद्धांत उद्देश्य के आधार पर आरएसएस के सैकड़ों कार्यकर्ता आपदा आते ही राहत कार्यों में जुट गए और अब भी जुटे हैं। वायनाड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दो नियंत्रण कक्ष बनाए हुए हैं जहां से पीड़ितों को औषधि, भोजन, वस्त्र तथा बचाव कार्यों में सहायता दी जा रही है। आरएसएस के सैकड़ों कार्यकर्ता सेना के और एनडीआरएफ के बचाव दलों के साथ मिलकर सहयोग कर र‌हे हैं। अपनी ओर से भी राहत सामग्री, औषधियों की मदद जारी है। पत्थरों, गाद व कीचड़ पानी में डूबे लोगों की निःस्वार्थ सेवा का यह कारुणिक दृश्य है जिसका कोई प्रचार नहीं, ढिंढोरा नहीं, फोटोसेशन नहीं। एक दो फोटो मोबाइल फोन से खींचे गए।

हां, एक फोटो बहुत वायरल किया जा रहा है जिसमें भाई-बहन सेना द्वारा बनाये गए आपात पुल से गुजरते दिख रहे हैं। यह फोटो उप-चुनाव में जरूर काम आए‌गा।
रही आरएसएस के स्वयंसेवकों की बात, वे तो युवराजों की गलियां सुनकर भी सेवा के अभ्यस्त हैं।

गोविन्द वर्मा