लगभग 50 बरस पहले मुजफ्फरनगर की प्रदर्शनी में देवराज दिनेश की कविता 'भारत मां की लोरी' सुनी थी- बाहर भी कोलाहल, घर के भीतर भी कोलाहल, मैं तो पागल आज हुई जाती हूँ। यह लंबी कविता भारत की सीमाओं पर उमड़ रहे खतरों और घर के भीतर बैठे गद्दारों की भारत विरोधी कुचालों की पृष्ठभूमि पर आधारित थी किंतु भारत माता आशान्वित थी कि उसके युग का प्रहरी जागरूक है। भारत के एक -एक पराक्रमी सपूत को याद करती है, लोरी दे कर उन्हें सुलाती है। कहती है:
मेरे युग का प्रिय प्रहरी पूरा जागरूक है।
फिर तुम मुझ से दूर नहीं हो,
मुझे जरूरत होगी, तुम्हें जगा लूँगी मैं!
लेकिन इन 50 वर्षों में क्या हुआ? जितने जोर से भारत माता की जय बोली गई, उससे कहीं ज्यादा ऊंची आवाज़ में कहा गया कि भारत माता की जय नहीं बोलूंगा, चाहे गर्दन कट जाए। देश को जोड़ने का दम भरने वाले भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह नारा लगाने वालों के बगलगीर होकर फोटो खिंचवाते हैं।
पहलगाम नरसंहार करने वालों को आतंकी न कह कर उन्हें गनमैन कहते हैं। जहां 27 हिन्दुओं का खून गिरा वहां नहीं जाते। हमले में मारे गए एकमात्र मुस्लिम के घर जाकर अफसोस जताते हैं। कहते हैं कश्मीरियत पर हमला हुआ। वेणुगोपाल कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद मीडिया को बताते हैं कि हमले से चिंतित राहुल गांधी अमेरिका की यात्रा बीच में छोड़कर भागे आये और यह कहते हैं कि आपदा की इस घड़ी में हम सरकार के साथ हैं किन्तु प्रस्ताव पास करते हैं कि सरकार आतंकवाद रोकने के नाम पर मुसलमानों का दमन न करें। खड़गे कहते हैं कि कश्मीरी देश के साथ हैं, उन्हें परेशान न किया जाये।
सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा कहते हैं कि देश में जिस तरह मुस्लिमों और ईसाइयों का उत्पीड़न हो रहा है, मस्जिदें तोड़ी जा रही हैं, चर्च फूंके जा रहे है, पहलगाम हमला उसका परिणाम है। कांग्रेस प्रवक्ता महेश शर्मा टीवी पर आकर कहता है- भारत में रहना है तो कलमा पढ़ना पड़ेगा। यह उसका रिकार्डेड बयान है जिसे नकार नहीं सकता।
रामगोपाल यादव कहते हैं- हिन्दू हिन्दू क्या? क्या हिन्दू हिन्दू को नहीं मारता। भतीजा 27 हिन्दुओं की नृशंस हत्या को भूल कर कहता है- 'आतंकी का कोई धर्म नहीं होता।'
गनीमत यह है कि इनमें से किसी ने यह नहीं कहा कि पाकिस्तान और पाकिस्तानी गुर्गों को बदनाम करने के लिए और भारत में हिन्दू मुस्लिम वैमनस्य फैलाने के लिए किसी भाजपाई हिन्दू पर्यटक ने हिन्दुओं के नाम पूछ पूछ कर पहले उन्हें गोली से उड़ाया, फिर खुद गोली मार ली।
क्या ड्रामा है। एक भाई कहता कि 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो, 80 करोड हिन्दुओं का हिसाब बराबर कर देंगे तो दूसरा हिन्दुओं को धमकाता है- जब मोदी पहाड़ों पर चला जाएगा, योगी चटाई उठा कर मठ में घुस जाएगा, तब तुम्हें कौन बचाएगा?
इतनी बड़ी ट्रेजेडी में भी ये देश में आग लगाने से बाज नहीं आ रहे। जब अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूएई, सऊदी अरब पहलगाम के नरसंहार की निन्दा कर चुके हो ओवैसी को तीन दिन बाद मगरमच्छी आंसू बहाने की याद आई। हाथों पर काली पट्टियां बंधवा कर दिखाया, देखो इंडिया (भारत कहना इनके लिए गुनाह है) चेले है।
लेकिन भारत माता को अपने युग के प्रहरी पर पूरा भरोसा है। यह भरोसा टूटेगा नहीं।
गोविंद वर्मा
संपादक 'देहात'