10 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केरल के वायनाड पहुंच कर उस स्थान पर भी गये जहां से भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदा आरंभ हुई थी। श्री मोदी ने चूरलमाला, मुंदक्कई, चरिमट्टम जैसे अति आपदाग्रस्त स्थलों का निरीक्षण किया। राहत शिविरों में पीड़ितों से मिले।
श्री मोदी ने केरल शासन, प्रशासन एवं पीड़ितों को केन्द्र की त्वरित सहायता का भरोसा दिलाया। मुंदक्कई शिविर में वे अपना सब कुछ खो चुके आपदा पीड़ित अयप्पन से मिल कर भावुक हो उठे। उनके आंसू पोछे प्रधानमंत्री ने सेना, एनडीआरएफ, 1200 से अधिक सहायता कर्मियों एवं निःस्वार्थ स्वयंसेवकों के कार्यों की सराहना की।
वायनाड में प्राकृतिक आपदा आते ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सैकड़ों कार्यकर्ता राहत कार्यों में जुट गये। यह तब हो रहा था जब संसदीय कांग्रेस दल की बैठक में सोनिया गांधी आरएसएस को कोस रही थीं। दूसरी ओर आरएसएस कार्यकर्ता बिना आत्म प्रचार और फोटोसेशन के सेवा में जुटे थे। भूस्खन के पत्थरों, कीचड़ में दबे बूढ़ों, बच्चों के प्राण बनाने में जुटे दो आरएसएस कार्यकर्ताओं- प्रजीश तथा सरथ बाबू ने प्राणों की आहुति दे दी। बलिदानी सरथ बाबू का जन्म 8 अगस्त, 1995 को हुआ। वे अविवाहित थे।
प्रजीश 1 मार्च, 1988 को जन्मे थे। केरल में तमाम संकटों व विपरीत राजनीतिक माहौल के बावजूद वे दोनों सेवा कार्यों में जुट जाते थे। अपने दो होनहार कार्यकर्ताओं को खोने के बाद भी वायनाड में आरएसएस समर्पित भाव से सेवाकार्यों में तत्पर है। प्रजीश और सरथ बाबू के बलिदान व सेवा के इस जज्बे को हम प्रणाम करते हैं।
गोविन्द वर्मा