20 अक्टूबर: मुफ्फरनगर में एशिया की सबसे बड़ी गुड़मंडी में 3 अक्टूबर से नया माल आना शुरू हो गया है। सामान्यतः दशहरा पर्व तक कोल्हू, क्रेन क्रशर एवं चीनी मिलें नए सीजन की
पेराई आरम्भ कर देते हैं। ऐसा अनुमान है कि नवम्बर मास के पहले सप्ताह में प्रायः सभी चीनी मिल पेराई आरम्भ कर देंगे।
सभी जानते हैं कि नकदी फसल होने के कारण किसान का रुझान गन्ने की खेती में होता है लेकिन गन्ना भुगतान के लिए किसान को हर पेराई सीजन में परेशान किया जाता है। दशकों से किसान मांग करते आ रहे हैं कि गन्ना मूल्य का भुगतान आपूर्ति के दो सप्ताह के भीतर हो जाना चाहिये। सरदार वी. एम. सिंह गन्ना मूल्य की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ते हैं। किसान संगठन समय पर भुगतान के लिए नियमित रूप से धरना प्रदर्शन करते हैं। उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास विभाग के सचिव संजय भूसरेड्डी चीनी मिलों को समय पर भुगतान करने की चेतावनी देते-देते रिटायर हो गए किन्तु मिलों पर किसानों की देनदारी अब भी 566 करोड़ रुपये की है, जब कि नया पेराई सत्र चन्द दिनों में आरम्भ होने को है।
इसका दूसरा पक्ष यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार पूरे वर्ष भुगतान के लिए चीनी मिल प्रबंधन पर दबाव बनाये रखती है। मिलों की आर.सी. तक काटी गई। समय समय पर शासन चीनी मिलों के लिए धनराशि रिलीज़ करता रहा ताकि गन्ना उत्पादकों पर आर्थिक दबाव न पड़े। सरकार के निरन्तर दबाव व प्रयासों से गन्ना उत्पादकों को पौने दो लाल करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान हो भी चुका है किन्तु चीनी मिलें गन्ना मूल्य भुगतान में उदासीनता बरतने की आदी हो चुकी हैं। बजाज समूह की 13 चीनी मिलों पर 2500 करोड़ रुपया अब भी शेष है। राज्यसरकार ने बजाज ग्रुप को गन्ना मूल्य भुगतान के लिए 1361 करोड़ रुपये अभी-अभी अवमुक्त किये हैं। इससे किसानों को राहत मिलेगी लेकिन यह कोई खेरात नहीं, किसानों का यह अपना पैसा है जिस पर कोई सूद भी नहीं दिया जाता।
प्रश्न है-किसान को बाज़ार से दो दिन के लिए भी कुछ उधार नही मिलता। एक रुपये की दर्द या बुखार की गोली किसान को नकद लेनी पड़ती है, फिर साल भर गन्ना मूल्य बकाया क्यूं रहता है? शासन को ऐसी नीति बनानी चाहिये कि भुगतान 14 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से मिल जाए। रिजर्व बैंक व्यावसायिक बैंकों से पैसा दिलाये और बैंक मिलों को एडवांस मनी देकर उस पैसे को ब्याज सहित मिलों से वसूल करें, किन्तु किसान को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाये। एक कल्याणकारी राज्य में इतनी गारंटी तो किसान को मिलनी ही चाहिए।
गोविन्द वर्मा