1 नवम्बर: पंजाब से पश्चिमी बंगाल तक विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की ढुलाई व्यवस्था को गतिशील एवं सुचारू बनाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन ऑफ इंडिया का गठन किया था, जिसका संक्षिप्त नाम डीएफसीसीआई है। इस परियोजना के अन्तर्गत धनकुनी से लेकर लुधियाना के साहनेवाल तक मालगाड़ियों का परिचालन होना है। इस
रेल पथ की कुल लम्बाई 1856 किलोमीटर है। मालगाड़ियों के लिए बने इस रेल पथ को टुकड़ों-टुकड़ों में संचालित किया जा रहा है। औद्योगिक वस्तुओं, मशीनरी व उपकरणों, कोयला, सीमेंट, फर्टीलाइजर, कृषि उत्पाद जैसे फल, सब्जी, डेयरी प्रोडक्ट्स व अनाज, दलहन-तिलहन आदि की सस्ती दरों पर ठुलाई का यह श्रेष्ठ साधन है।
डीएफसीसीआई के मुख्य परियोजना प्रबंधक पवन कुमार ने बताया है कि खुर्जा से खतौली (मुज़फ्फरनगर) के बीच सिग्नल व्यवस्था को संचालित करने वाले 150 उपकरण (डिडेक्शन पॉइंट, डीपी) चोरी हो गए हैं अतः पहली नवम्बर के बजाय 15 नवम्बर से रेल पथ पर मालगाड़ियां दौड़ सकेंगी। चोरी किये उपकरणों के बाद नये उपकरण जापान से मंगाए गए हैं। इनके पुनर्स्थापन के बाद ही परिचाल आरंभ सम्भव है। यह पता चला है कि एक उपकरण की कीमत 3-4 लाख रुपये के बीच है।
इस प्रकार चोरों ने आर्थिक हानि के साथ-साथ राष्ट्र हित की भी क्षति की है, जो अक्षम्य अपराध है। गौरतलब है कि रेलवे के सामानों की चोरी करने वाला बड़ा गिरोह देश में सक्रिय है। जब मेरठ से सहारनपुर के बीच रेलपथ का विद्युतीकरण चल रहा था, तब करोड़ों रुपये मूल्य के केबल व अन्य सामान चुरा लिए गए थे। रेलवे की चोरी की कुछ सम्पत्ति मुजफ्फरनगर के कबाड़ियों के गोदानों से बरामद हुई थी। केबल व तार आदि चुराने वाले चोरों का क्या हुआ, वे कहाँ हैं, उन्हें सजा मिली या नहीं अथवा वे पकड़े जाएंगे या नहीं ? यह आम जनता व रेल यात्रियों को आज तक पता नहीं।
करोड़ों रुपये के डीपी चुराने वाले क्या पकड़े जायेंगे, उन्हें कड़ी सज़ा दिलाने की गम्भीरता से कोशिश होगी, यह कौन बतायेगा ? यह उल्लेखनीय है कि चाहे डीपी हों या पटरियां, तार अथवा उपकरण, इन्हें साधारण चोर नहीं चुरा सकता। यह बड़े गिरोह का काम है जो रेलवे की रग-रग से वाकिफ है। भेदिये के बिना इतनी बड़ी चोरियां सम्भव ही नहीं हैं। पूछा जा सकता है कि अरबों रुपया वेतन के रूप में पाने वाले रेलवे व सुरक्षा अधिकारी इस ओर ध्यान क्यूं नहीं देते? पुलिस में एफआईआर लिखाने की फर्जअदायगी करने मात्र से वे अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
यह छोटी बात नहीं। प्रधानमंत्री और रेलमंत्री को चोरों के इस गिरोह का राज़फ़ाश करने को कदम उठाने चाहियें।
गोविन्द वर्मा