बांग्लादेश के कथित छात्रों का आरक्षण विरोधी आंदोलन का असली व खूंखार चेहरा और मकसद सामने आ गया है। आरक्षण के नाम पर शुरू किया आंदोलन शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटाने की एक सूत्री मांग पर आकर टिक गया लेकिन उनके देश से पलायन के बाद भी हिंसा, आगजनी नहीं रुकी है। पिछले कुछ दिनों में घटनाचक्र तेज़ी से घूमा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में तथा सर्वदलीय नेताओं की बैठक में स्थिति स्पष्ट कर दी है।
कुछ दिनों पहले तक भारत सरकार कह रही थी कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है किन्तु अब स्पष्ट होता जा रहा है कि बांग्लादेश में जिहादी इस्लामी सरकार स्थापित करना आंदोलन का एक मात्र लक्ष्य था, जिसमे हिन्दू नागरिकों का कोई स्थान नहीं होगा। बांग्लादेश की सेना का तख्तापलट में सीधा हाथ प्रमाणित हो चुका है। जिस प्रकार सेना ने शेख हसीना को पलायन के लिए मात्र 45 मिनट का समय दिया और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया को जेल से रिहा कर शेख हसीना के कट्टर विरोधी पाकिस्तान समर्थक प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस जैसे 84 वर्ष के बूढ़े को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री बनाने का मौका दिया, इससे सिद्ध है कि सेना भी बांग्लादेश में तख्तापलट की तैयारी में थी।
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद पूरे बांग्लादेश में हिंदुओं का नरसंहार हो रहा है। उनकी सम्पत्तियों को लूटा और जलाया जा रहा है। बच्चों तथा महिलाओं को भी निशाना बनाया जा रहा है। ढाका सहित सिराजगंज, रंगपुर, लालमोनिरहाट में हजारों हिन्दुओं के आवास में लूटपाट व आगजनी की गई। थाना रोड पर नगरपालिका सदस्य मुहिन रॉय के कम्प्यूटर शोरूम को लूटा गया। चंद्रपुर गांव में 4 हिन्दुओं के घरों में आग लगाई गई। हाथीबंधा जिले के पुरबो सरदुबी गांव में 12 हिन्दुओं के घर फूंके गए। पंचगढ़ में भी कई घरों में आगजनी हुई।
बांग्लादेश के ओइक्या परिषद के महासचिव मुनींद्र कुमार नाथ ने कहा हैं कि हमने कभी नहीं सोचा था कि बांग्लादेश में हमारे समुदाय पर इस तरह हमले होंगे। ऐसा कोई इलाका या जिला नहीं बचा है जहा हिन्दुओं पर हमले न हो रहे हों। हमारी आस्था और विश्वास के केंद्रों के प्रतीक मंदिरों को जलाया जा रहा है। बांग्लादेश के 27 जिलों में हिन्दुओं की हत्याएँ हो रही हैं। हजारों मकानों-दुकानों को जलाया और लूटा गया है, सैकड़ों की संख्या में मंदिरों को नष्ट किया गया।
विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार तथा आरएसएस के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी ने बांग्लादेश में हिन्दुओं के नरसंहार पर भारत सरकार व विश्व समुदाय के ध्यान देने की गुहार लगाई है। दूसरी ओर भारत में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाला कोई नेता- असदुद्दीन ओवैसी, तौकीर रजा, अरशद मदनी या किसी मौलवी ने बांग्लादेश के हिन्दू नरसंहार पर जबान नहीं खोली है। देश के सेक्युलर नेता भी चुप्पी साधे बैठे हैं।
भारत के कट्टरपंथी मुस्लिमों के रुख का इज़हार करते हुए अलबत्ता पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने जरूर मुँह खोला है। सलमान ने कहा कि निकट भविष्य में भारत में भी बांग्लादेश जैसे हालत बनेंगे क्योंकि यहाँ मुसलमानों का उत्पीड़न होता है। सलमान खुर्शीद ने भारत सरकार के पूर्व मंत्री मुजीबुर रहमान की पुस्तक ‘द पॉलिटिकल फ्यूचर ऑफ इंडियन मुस्लिम्स’ के विमोचन पर अपनी दिल की बात खोल दी।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि कश्मीर में सब कुछ सामान्य दिख सकता है लेकिन सच्चाई सतह के नीचे है। उन्होंने अफ़सोस प्रकट किया कि जब 2008 में मुस्लिम युवकों को पुलिस ने आतंकी बताकर बटला हाउस में फर्जी मुठभेड़ में मारा था तब वह सरकार में नहीं थे लेकिन तब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार अस्तित्व में थी। सलमान खुर्शीद ने कहा कि मैंने कपिल सिब्बल को बटला हाउस भेजा जहां निर्दोष युवकों की कथित मुठभेड़ हुई थी तब पुलिस वालों ने सिब्बल को सलाम तक नहीं की थी। सलमान ने पुलिस इस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की शहादत पर एक शब्द नहीं बोला, जबकि 'मोहन चंद' को एक आतंकी ने बटला हाउस में गोली मारी थी।
सलमान खुर्शीद भारत में होने वाले बांग्लादेश जैसे हालत की कल्पना कर रहे हैं। यह अकेले सलमान की कल्पना नहीं अपितु भारत में रहने वाले करोड़ों जिहादियों व इस्लाम के मुहाजिद की तमन्ना है, जिसे पूरा करने के लिए पीएफआई जैसे संगठन चौबीसों घंटे लगे हुए हैं। सलमान खुर्शीद की चेतावनी को हलके में लेने की जरूरत नहीं। सावधानी व बहादुरी से इसका सामना करने की जरूरत है। बांग्लदेश का संकट भारत के लिए पूर्व सन्देश है। इसे समझा जाना चाहिए।
गोविंद वर्मा
संपादक 'देहात'