8 अक्टूबर: चीन के हांगझोऊ शहर में आयोजित 19 वें एशियाई खेलों में 107 पदक हासिल कर भारत ने इतिहास रच दिया है। समापन पर 14वें दिन भारत ने 12 पदक हासिल किये जिनमें 6 तो स्वर्ण पदक हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय खिलाड़ियों एथलीटों को बधाई देते हुए कहा है कि हमारे खिलाड़ियो ने अपने प्रदर्शन से इतिहास रचा है। नरेन्द्र मोदी 10 अक्तूबर को हांगझोऊ से ढेरों पदक लेकर आये खिलाड़ियों का अभिनन्दन करेंगे।

हमें बखूबी याद है जब इन्दिरा गांधी के शासनकाल में दिल्ली में एशियाई खेल आयोजित होने की खबर आई तो चौधरी चरणसिंह ने इन्दिरा गांधी को पत्र लिखकर एशियाड खेलों का आयोजन रद्द करने को कहा था । चौधरी साहब ने अपने पत्र में लिखा था- 'भारत जैसा देश इन खेलों का बड़ा खर्च बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है।' उन्होंने सुझाव दिया कि पहले ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाए। जो पैसा एशियाड पर लगना है, उसे देश के खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने पर खर्च करें।

चौधरी साहब के उपयोगी सुझाव पर इन्दिरा गांधी ने ध्यान नहीं दिया। विपुल धनराशि दिल्ली में खेल गांव स्थापित हुआ, गांधी-नेहरु वंश के नामचारियों के राम पर स्टेडियम बने और चीन प्र दिल्ली से पदकों की गठरी बीध कर ले गया। एशियाड खेलों के बाद खबर आई कि खेल गांव और स्टेडियमों के निर्माण के लिए जो जापानी स्टील ात्र आयात किया गया था, करोड़ों रुपये मुल्य का आयातित इस्पात काले बाजार में बेच दिया गया। खेल गांव के सूइट्स गुफ्त की रेवड़ी की तरह अपने चहेतों और दरबारियों को बांटे गए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिन-रात कोसने वाले नेता इस वास्तविकता को कैसे हजम करेंगे कि मोदी जी ने खेलों, खिलाड़ियों को भरपूर प्रोत्साहन दिया है। सरकार की अनुकूल खेल नीति एवं प्रोत्साहन से खिलाड़ियों-एथलीटों, कोच- प्रशिक्षकों के हौसले बुलन्द हुए हैं। ये लोग तो खिलाड़ियों पर अपनी जाति का ठप्पा लगाने और भारत के नाम पर जीते गए पदकों का अपमान करने या उन्हें गंगा में बहाने की प्रेरणा ही दे सकते हैं। भारत के खिलाड़ी अपनी प्रतिभा व राजकीय सुविधाओं के बल पर भविष्य में देश का नाम और ऊंचा करेंगे, यह 140 करोड़ भारतीयों की कामना है।

गोविन्द वर्मा