साल जाते-जाते !
"वियतनाम में नया साल"
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्रीय शोक के चलते बीच में ही वे नया वर्ष मनाने वियतनाम चले गये। मजनू-का-टीला गुरुद्वारा में अंतिम अरदास हुई, पाठ हुआ। यमुना में अस्थि विसर्जन हुआ। माँ, बेटी, बेटा और प्रधान जी, सब नदारद ! कहा गया निजी यात्रा पर गये हैं। ठीक ही है, निजी यात्रा में तो सब गुपचुप होता है। सार्वजनिक यात्राओं और सार्वजनिक मंचों पर तो सारे तमाशे, सारी नौटंकियाँ कर ही लेते हैं!
"नेताजी की कंबल कुटाई"
उद्धव ठाकरे के एक भोंपू हैं। जब बोलते हैं तो लोग सोचते हैं- उद्धव ही बोल रहा है। लेकिन जितना बोलते हैं उतनी उद्धव की नैया डूबती जाती है। अर्नब गोस्वामी को जेल मैं ठुंसवा कर खूब तालियां बजवाई। कंगना के दफ्तर पर बुल्डोजर चलवाकर बोला- लो, उखाड़ लिया। नौसेना के पूर्व अधिकारी की आंख फुड़वाकर खूब ठुमके लगवाये। लोग कहने लगे कि यह उद्धव की लुटिया डुबोकर ही मानेगा। खबर है कि शिवसेना के मुंबई मुख्यालय पर इससे खुन्नस खाये बैठे कार्यकर्ताओं ने उद्धव व आदित्य ठाकरे की मौजूदगी में इसकी कंबल कुटाई कर दी, पीट-पीट कर मुंह भी सुजा दिया। अब सफाई देता फिर रहा है।
"विलन को बना दिया हीरो"
हम पत्रकार हर्ष कुमार की इसलिए जीभर के प्रशंसा करते हैं कि वे ‘बदमाश’ पत्रकारों की करतूतों से पर्दा उठाने और उनकी करतूतों की आलोचना करने से कभी नहीं चूकते। एक चैनल चलाने वाले पत्रकार का नाम लेकर उसके ढोंग व पाखंड की धड़ल्ले से पोल खोलते हैं। 28 दिसंबर को इस चैनल ने हैदराबाद के दो नंबर के भाईजान को खलनायक से नायक बना कर दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हर्ष कुमार ठीक ही इसे ढोंगी पत्रकार बताते हैं।
साल आते-आते !
"तेरी गाली, मेरी गाली"
देखने में तो निपट सीधा-साधा लगता है लेकिन रमेश बिधूड़ी को लालू यादव का वह बेहूदा फिकरा याद रहा जो उन्होंने बिहार की सड़कों और हेमा मालनी के बारे में बोला था। बिधूड़ी ने यह क्यों नहीं सोचा कि लालू भारतीय राजनीति का विदूषक है, भले ही उसने भोंडी और बेहूदगी भरी बातें बोल के बिहार में अपने वंश की जड़ें जमा ली हों। देश की जनता लालू को एक राजनीतिक जोकर और बदजुबान शख्स से ज्यादा कुछ नहीं समझती। लोगों ने टीवी, पर देखा कि कालकाजी से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार और दिल्ली की ऐवजी मुख्यमंत्री आतिशी पानी पी-पी कर रमेश बिधूड़ी के कथन पर टसुवे बहा रही थीं। उनसे पूछा जा सकता है कि केजरीवाल के शीशमहल में स्वाति मालीवाल को पीटा गया तब आतिशी की आंखों से आसूं क्यों नहीं टपके थे? जब केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में कश्मीर फाइल्स को लेकर कश्मीरी महिलाओं पर बलात्कार व अत्याचार को झूठ का पुलंदा बताकर ठहाके लगाए थे, तब आतिशी की आंखों से आसूं नहीं टपके। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई बेहूदगी करे तो आप भी बदतमीजी पर उतर आएं। बिधूड़ी जी बतायें कि कोई कुत्ता आदमी को काट खाये तो क्या आदमी भी कुत्ते को काटता है?
"राहुल का भानुमति का कुनबा"
कहा जा रहा है कि राहुल गाँधी ने इंडी गठबंधन के नाम पर भानुमति का जो कुनबा जोड़ा हुआ है, उसमें दरारें पड़ने लगी है, लेकिन अभी इस पर विचार नहीं। राहुल की चौकड़ी के नेता, या राहुल के गठबंधन के सदस्य अपनी राजनीतिक स्वार्थपरता के लिए किस हद तक राष्ट्रहित को धता बता कर भारतीय संविधान का अपमान करते हैं, यह विचारणीय मुद्दा है।
तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि नये वर्ष के पहले विधानसभा सत्र में सदन को संबोधित करने पहुंचे तो परम्परा एवं संविधान के निर्देशानुसार सदन में राष्ट्रगान की ध्वनि नहीं बजाई गई। राज्यपाल संविधान एवं राष्ट्रगान के अपमान पर बिना अभिभाषण दिये ही लौट गये। बाद में राजभवन के प्रवक्ता ने इसे संविधान के प्रति अभद्रता का आचरण बताया।
राज्यपाल श्री रवि ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन तथा विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु से भी शिकायत की किन्तु दोनों ने सदन में हंगामा करा दिया।
राहुल गांधी महीनों से संविधान की प्रति जेब में लिए लिए घूमते हैं। संविधान को अपना राजनीतिक हथियार बना लिया है लेकिन अपने भानुमति के पिटारे के एक साथी द्वारा संविधान के घोर अपमान पर दुष्टतापूर्ण चुप्पी साधे हुए हैं। उनके सारे भोंपू भी संविधान के अपमान पर मौन हैं। ये भले ही चुप्पी साध लें किन्तु देश तो इन ढोंगियों को देख ही रहा है।
गोविन्द वर्मा
संपादक 'देहात'