10 नवंबर: भारत की सनातन संस्कृति के अनुरागीजनों के लिए एक आनन्ददायक समाचार है। 9 नवंबर को अयोध्या में योगी आदित्यनाथ मंत्रिमण्डल की बैठक में महाभारत कालीन पौराणिक तीर्थस्थल शुक्रताल के चतुर्दिक विकास के उद्देश्य से ‘शुकतीर्थ विकास परिषद’ के गठन की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है।

सर्वविदित है कि महाभारत कालीन पाण्डव-वंशी राजा परीक्षित के शापमुक्त होने को श्रीम‌द्भागवत की कथा से शुकतीर्थ का इतिहास जुड़ा हुआ है। श्रृंगीऋषि के पुत्र जनमेजय ने जब अभिमन्यु के पौत्र राजा परीक्षित को तक्षक द्वारा डसने का शाप दिया तब महर्षि शुकदेव ने गंगा तट पर स्थित अक्षय वट की छाया में राजा परीक्षित को 88 हजार ऋषियों की उपस्थिति में भागवत सुनाई थी।

कालान्तर में गंगा की धारा का प्रवाह पूर्व दिशा में बिजनौर जनपद की ओर सरक गया। शुकतीर्थ के तट पर ऊंचे-ऊंचे टीले तथा रेत के इन खोलों के भीतर से निकले सहस्रों वर्ष पुराने शिवालय व भगवती बगलामुखी के मन्दिर शुकतीर्थ में गंगा के प्रवाहित होने के साक्षी हैं। कालचक्र की गति ने शुकतीर्थ को उपेक्षित कर दिया। हजारों वर्षों पश्चात् मुज़फ्फरनगर की महान् विभूति, वीतराग स्वामी कल्याणदेव महाराज ने शुकतीर्थ के पुनरुद्धार का बीड़ा उठाया। सन् 1944 के प्रयागराज के कुम्भ में करपात्री जी महाराज व शंकराचार्य ने शुकतीर्थ के पुनरुद्धार का शुभकार्य स्वामी जी को करने का परामर्श दिया।

जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार करने पर वे शिक्षा ऋषि कहलाये और प्राथमिक विद्यालय से लेकर आयुर्वेदिक विद्यालय, आई.टी.आई, महाविद्यालय, इंटरमीडिएट कॉलेज, हाई स्कूल तक लगभग 300 शिक्षण संस्थाओं की स्थापना कराने के साथ ही शुकतीर्थ के विकास के लिए जीवन समर्पित कर दिया। बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में शामली चीनी मिल के मालिक लाला राजेन्द्रलाल, बावरी के गणमान्य ज़मींदार और प्रमुख समाजसेवी इन्द्रप्रकाश जी तथा नई मंडी के प्रसिद्ध व्यापारी लाला लीलूराम जी एवं सेठ गूजरमल मोदी ने शुकतीर्थ के उद्धार में प्रमुखता से हाथ बटाया। स्व. इन्द्रप्रकाश जी के सुपुत्र सोमांश प्रकाश जी तथा बावरी परिवार की पीढ़ियां आज भी शुकतीर्थ तथा शुकदेव आश्रम की सेवा में तत्पर हैं। हर्ष का विषय है कि जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. वीरपाल सिंह, कुंवर देवराज पंवार, ओमदत्त आर्य पीठाधीश्वर स्वामी ओमानन्द जी के प्रयासो को आगे बढ़ा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्ष 2019 व इसी वर्ष जुलाई मास में शुकतीर्थ पधारे और वहां विकास की गंगा बहाने की घोषणा की। स्वामी कल्याणदेव जी की इच्छा थी कि उनके जीवन काल में गंगा की पवित्र धारा शुकतीर्थ में अविकल रूप से प्रवाहित हो, शुकतीर्थ विकास परिषद का गठन स्वामी जी के स्वप्न को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगा। इसके लिए मुख्यमंत्री बधाई के पात्र हैं।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’