आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को एआई ग्रोक के साथ शिक्षा प्रणाली पर एक विस्तृत चर्चा की। यह पहला अवसर था जब किसी राजनीतिक नेता ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से देश में शिक्षा सुधार पर संवाद किया। इस दौरान एआई ग्रोक ने दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाया जा सकता है।

सिसोदिया ने कहा कि जब दिल्ली में उन्होंने शिक्षा सुधार की शुरुआत की थी, तब व्यवस्था जर्जर हो चुकी थी। हमने न केवल स्कूलों का ढांचा सुधारा, बल्कि शिक्षक प्रशिक्षण और छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाने पर भी ध्यान दिया। उन्होंने "हैप्पीनेस करिकुलम" और "बिजनेस ब्लास्टर्स" जैसे कार्यक्रमों का ज़िक्र किया, जो छात्रों में रचनात्मकता और नेतृत्व कौशल को बढ़ावा देते हैं।

सरकारी स्कूलों की चुनौतियाँ और समाधान

चर्चा के दौरान सिसोदिया ने पूछा कि आज भी देशभर में सरकारी स्कूलों की स्थिति क्यों खराब है। इसके जवाब में एआई ग्रोक ने बताया कि 1947 में देश में करीब 1.4 लाख स्कूल थे, जिनमें अधिकतर सरकारी थे और लगभग 1.4 करोड़ छात्र पढ़ते थे। लेकिन आज भी सरकारी स्कूलों को वित्तीय कमी, शिक्षक अभाव, बुनियादी सुविधाओं की खामियां और राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे गंभीर मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है।

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दिल्ली शिक्षा मॉडल के 7 स्तंभ

सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली का शिक्षा मॉडल केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि लाखों परिवारों की आशा है। उन्होंने दिल्ली मॉडल के सात स्तंभों की जानकारी दी:

  1. बुनियादी ढांचा सुधार – नए क्लासरूम, लैब, लाइब्रेरी और शौचालयों का निर्माण।
  2. शिक्षक सशक्तिकरण – अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण और सम्मान।
  3. पाठ्यक्रम नवाचार – हैप्पीनेस, आंत्रप्रिन्योरशिप और देशभक्ति जैसे नए विषय।
  4. स्कूल नेतृत्व और एसएमसी – प्रिंसिपल को नेतृत्व की भूमिका और माता-पिता की भागीदारी।
  5. आधारभूत साक्षरता – हर छात्र की प्रगति पर सतत निगरानी।
  6. प्रतियोगी परीक्षा में सफलता – सरकारी स्कूलों के छात्रों की नीट, जेईई, एनडीए में बढ़ती सफलता।
  7. जवाबदेही – परिणामों की पारदर्शिता और निरंतर समीक्षा।

देशव्यापी नीति की आवश्यकता

एआई ग्रोक ने दिल्ली मॉडल की तारीफ करते हुए सुझाव दिया कि इस तरह के प्रयास राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ जोड़कर पूरे देश में लागू किए जा सकते हैं। हालांकि, इसके लिए पर्याप्त बजट, राजनीतिक इच्छाशक्ति और केंद्र-राज्य के बीच सहयोग आवश्यक होगा। ग्रोक ने कहा कि 2015 से 2022 के बीच एक लाख से ज्यादा सरकारी स्कूल बंद या विलीन हुए, जो चिंताजनक है।

'परख सर्वे' और राज्यों की स्थिति

‘परख शिक्षा सर्वेक्षण 2024’ के आंकड़ों पर सिसोदिया ने कहा कि पंजाब कक्षा 3, 6 और 9 में देश में अग्रणी है, जबकि दिल्ली कक्षा 9 में पांचवें स्थान पर है। गुजरात की स्थिति चिंताजनक है क्योंकि उसके कई जिले निचले पायदान पर हैं। ग्रोक ने भी इन आंकड़ों को गंभीर बताते हुए कहा कि दिल्ली और पंजाब के मॉडल से अन्य राज्यों को सीख लेनी चाहिए।

राष्ट्रीय क्रियान्वयन के लिए सुझाव

ग्रोक ने कहा कि शिक्षक प्रशिक्षण, नवाचारयुक्त पाठ्यक्रम और स्कूलों का बुनियादी ढांचा बेहतर कर यदि दिल्ली मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाए, तो सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में संसाधनों का न्यायसंगत वितरण, राज्यों की विशेष ज़रूरतों के अनुसार अनुकूलन और सशक्त राजनीतिक संकल्प की आवश्यकता होगी।