खंभों के प्रयोग पर अब शुल्क वसूलेंगी बिजली कंपनियां

अब उत्तर प्रदेश के बिजली खंभों का इस्तेमाल दूरसंचार कंपनियां और केबल ऑपरेटर नहीं कर पाएंगे। इसके इस्तेमाल के लिए इन्हें निर्धारित शुल्क देना होगा। शुल्क के रूप में मिलने वाली राशि का 70 फीसदी हिस्सा उपभोक्ताओं की बिजली दरों एवं 30 फीसदी बिजली कंपनियों को दिया जाएगा। इस संबंध में दूरसंचार नेटवर्क सुविधा नियमावली-2022 लागू कर अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह कानून लागू करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य बन गया है।

विद्युत नियामक आयोग ने नवंबर-2022 में जारी नियमावली को राज्य सरकार को अधिसूचना जारी करने के लिए भेजा गया था, जो अब जारी हो गया है। इसके लागू होने के बाद अब बिजली कंपनियां शुल्क वसूलने से जुड़ी कार्यवाही शुरू कर सकेंगी। अब बिजली खंभों एवं टावरों पर कोई भी प्राइवेट अथवा सरकारी दूरसंचार कंपनी, ब्रॉडबैंड, केबल ऑपरेटर अथवा अन्य कोई भी अपना सिस्टम अथवा तार व केबल का उपयोग नहीं करेगा। इसका उपयोग करने के लिए पहले अनुमति लेनी होगी और निर्धारित शुल्क देना होगा।

33 केवी लाइन वाले टॉवर दायरे से बाहर
सुरक्षा मानक को देखते हुए नई व्यवस्था से 33 केवी लाइन टावर को बाहर रखा गया है। इसका कोई व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकेगा। अन्य खंभों को टेंडर प्रक्रिया से दूरसंचार कंपनियों को दिया जाएगा। यदि 5-जी नेटवर्क में दूरसंचार कंपनियों को कहीं भी बिजली की आवश्यकता होगी, तो उस पर स्मार्ट मीटर लगाकर बिजली बिल की वसूली भी की जाएगी। स्मार्ट मीटर सहित सभी खर्चों का वहन दूरसंचार कंपनियों को करना होगा। इस नियमावली में किसी भी तरह के संशोधन का अधिकार केवल विद्युत नियामक आयोग को होगा। प्रदेश की बिजली कंपनियों को इससे प्राप्त होने वाली आय का ऑडिट कराना होगा। इसे आयोग के सामने रखा जाएगा। दूरसंचार कंपनियों को टावर या उपकरण के लिए खंभों के इंसुलेटर से सुरक्षा मानक को बनाए रखना होगा। किसी भी दूरसंचार कंपनी को बिजली कंपनियों की आवश्यक सेवा की गुणवत्ता के साथ कोई भी खिलवाड़ की इजाजत नहीं होगी। 

करीब 500 करोड़ की हर साल होगी आमदनी
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नए कानून को लागू कराने के लिए आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि इससे प्राप्त होने वाला राजस्व गैर टैरिफ आय में सम्मिलित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में लगभग एक करोड़ खंभे हैं। इससे हर साल करीब 500 करोड़ तक की नॉन टैरिफ आय प्राप्त होगी। नए कानून में यह भी व्यवस्था की गई है कि किसी एक टेलीकॉम कंपनी का वर्चस्व न हो, इसलिए किसी भी विशेष दूरसंचार कंपनी को वितरण कंपनियां अपने खंभों का 50 प्रतिशत से ज्यादा काम नहीं दे पाएंगी। बिजली कंपनियों को कम से कम 3 साल में एक बार किराया शुल्क में संशोधन करना होगा। 

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