फर्जी जन्म प्रमाण पत्र केस: आजम खान की अर्जी पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सपा नेता आजम खान उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम खान की ओर से दाखिल याचिका पर सोमवार सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल में आजम खान परिवार की ओर से पक्ष रखा। कहा कि आजम खान की ओर से जन्म प्रमाण पत्र में जन्मतिथि का विधिपूर्वक संशोधन कराया गया है। फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने का आरोप बेबुनियाद है। 

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की अदालत कर रही है। सपा नेता आजम खान, उनकी पत्नी डॉ तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने रामपुर जिला जज की ओर से सात साल की सुनाई गई सजा की पुष्टि करने वाले आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 

गौरतलब है कि आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम पर दो अलग-अलग बर्थ सर्टिफिकेट रखने का आरोप हैं। एक सर्टिफिकेट 28 जून 2012 को जारी हुआ जो रामपुर नगर पालिका ने जारी किया। इसमें अब्दुल्ला के जन्मस्थान के रूप में रामपुर को दिखाया गया है। जबकि दूसरा जन्म प्रमाण पत्र जनवरी 2015 में जारी किया गया। इसमें अब्दुल्ला के जन्मस्थान को लखनऊ दिखाया गया है।

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान, उनकी पत्नी तज़ीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को रामपुर की जिला अदालत ने 2019 के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में दोषी ठहराया और सात साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में आजम खान का पूरा कुनबा जेल की सलाखों के पीछे है। 

फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में मिली सजा के खिलाफ हाईकोर्ट ने दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जानेमाने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल में आजम खान परिवार का पक्ष रखते हुए अपनी बहस पूरी की। उन्होंने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है। दलील दी है कि यह मामला जन्म प्रमाणपत्र में संशोधन का है न की फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने का।  आजम परिवार की ओर से पूरी हुई बहस के बाद प्रतिवादी और राज्य सरकार की ओर से बहस के लिए कोर्ट ने 22 अप्रैल की तिथि नियत की है। 

भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने दर्ज कराया केस

भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने वर्ष 2019 में रामपुर जिले के गंज थाने में अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र रखने के मामले में कूटरचना, धोखाधड़ी समेत कई अपराधिक धाराओं में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस मामले में अब्दुल्ला के पिता आजम खान और मां तजीन फातिमा को भी आरोपी बनाया गया था। आरोप लगाया कि अब्दुल्ला ने पहले जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने और विदेशी दौरे करने के लिए दूसरे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया था।

इसके अलावा यह भी कहा गया था कि आजम खान ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया और अपने बेटे को 2017 में चुनाव लड़ने और विधायक बनने के योग्य बनाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र जारी करवाया। जबकि वर्ष 2017 में अब्दुल्ला विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं थे। उस वक्त उनकी उम्र महज 24 वर्ष थी। अपने प्रभाव का इस्तेमाल  आजम खान ने अब्दुल्ला आजम का एक और जन्म प्रमाण पत्र बनवाया, जिसमें उनकी उम्र 30 सितंबर 1990 के दर्शाई गई। जिससे वह चुनाव लड़ने के योग्य हो गए और चुनाव लड़ कर जीत भी लिया

सुनाई गई थी सात साल की सजा

वर्ष 2019 में दर्ज इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने आजम खान को बेटे और पत्नी समेत आईपीसी की धारा 467 के तहत दोषी पाए जाने के बाद सात साल की कैद और पचास हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। 

मामले में दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने के बाद, अब्दुल्ला आजम को उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया। उन्होंने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

क्या कहता है जन प्रतिनिधित्व अधिनियम

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए), 1951 के प्रावधानों के तहत, दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को ‘ऐसी सजा की तारीख से’ अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और जेल में समय बिताने के बाद अगले छह साल तक अयोग्य रखा जाएगा।

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