टोक्यो | शनिवार देर रात जापान में 6.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के अनुसार, यह झटका स्थानीय समयानुसार रात 8 बजकर 51 मिनट पर महसूस किया गया। भूकंप का केंद्र धरती की सतह से लगभग 50 किलोमीटर गहराई में स्थित था।
एनसीएस ने बताया कि जापान विश्व के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है और यहां का सिस्मिक नेटवर्क दुनिया में सबसे घना माना जाता है। यही वजह है कि देश में बार-बार हल्के से मध्यम तीव्रता के भूकंप दर्ज किए जाते हैं। जापान प्रशांत महासागर के ‘रिंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में स्थित है, जो ज्वालामुखीय और भूकंपीय गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के द्वीपों में अक्सर छोटे झटके और कभी-कभी ज्वालामुखी विस्फोट भी देखे जाते हैं।
जापान के प्रमुख भूकंपों का इतिहास
बीते वर्षों में जापान कई विनाशकारी भूकंपों का सामना कर चुका है। इनमें 2024 का नोटो भूकंप, 2011 का तोहोकू भूकंप और सुनामी, 2004 का चुएत्सु भूकंप तथा 1995 का महान हानशिन भूकंप प्रमुख हैं।
शिंडो पैमाना: जापान का विशेष मापक तंत्र
जापान में भूकंप की तीव्रता को परिमाण (Magnitude) के बजाय ‘शिंडो पैमाने’ से मापा जाता है। यह पैमाना किसी स्थान पर महसूस की गई कंपन की तीव्रता को दर्शाता है, जबकि रिक्टर स्केल भूकंप के केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा को मापता है।
शिंडो पैमाने में कुल 10 स्तर होते हैं, जो ‘शिंडो शून्य’ (बहुत हल्का झटका) से लेकर ‘शिंडो सात’ (अत्यधिक विनाशकारी भूकंप) तक होते हैं। शिंडो पांच और छह की श्रेणी में आने वाले भूकंप ‘कमजोर’ और ‘तीव्र’ स्तरों में विभाजित किए जाते हैं। चार या उससे कम स्तर के झटकों को हल्का माना जाता है, जबकि पांच से ऊपर की तीव्रता वाले भूकंप इमारतों, सड़कों और पाइपलाइन जैसी संरचनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।