फेडरल कोर्ट से झटका मिलने के बाद अब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों को लेकर सीनेट में भी घमासान तेज होता दिख रहा है। अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति इस मुद्दे पर कार्रवाई कर सकती है। डेमोक्रेट सांसद ग्रेगरी मीक्स ने प्रतिनिधि सभा के स्पीकर माइक जॉनसन से अपील की है कि ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ को खत्म करने के प्रस्ताव पर विचार किया जाए।
मीक्स का कहना है कि ट्रायल और अपीलीय, दोनों अदालतों ने ट्रंप के टैरिफ को अवैध करार दिया है। ऐसे में स्पीकर को ट्रंप की अराजक नीतियों को ढकना बंद कर देना चाहिए और इस विषय पर सदन में चर्चा करानी चाहिए। भारत पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क के खिलाफ अमेरिका में भी विरोध की आवाज़ें उठ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वजह से भारत-अमेरिका संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
फेडरल कोर्ट ने टैरिफ को गैरकानूनी ठहराया
हाल ही में फेडरल कोर्ट ने कहा था कि ट्रंप के पास नेशनल इमरजेंसी घोषित कर दुनिया भर के देशों पर आयात शुल्क लगाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। अदालत ने ज्यादातर टैरिफ को गैरकानूनी बताया, हालांकि इन्हें 14 अक्टूबर तक बरकरार रखा गया है ताकि ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील का अवसर मिल सके।
ट्रंप ने फैसले को बताया गलत
कोर्ट के फैसले के बाद ट्रंप ने प्रतिक्रिया दी कि उनके लगाए गए सभी शुल्क लागू रहेंगे। उन्होंने इसे एकतरफा और अनुचित निर्णय बताते हुए दावा किया कि अंततः अमेरिका की ही जीत होगी। ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर ये टैरिफ हटाए गए तो देश की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ जाएगी और यह “विनाशकारी” साबित होगा।
भारत समेत कई देशों पर बढ़ाया शुल्क
2 अप्रैल को ट्रंप ने उन 60 देशों पर नए शुल्क लगाने की घोषणा की थी जिनसे अमेरिका को व्यापार घाटा हो रहा था। उन्होंने इस दिन को ‘लिबरेशन डे’ नाम दिया। भारतीय उत्पादों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया, वहीं रूसी कच्चे तेल पर भी 25% दंडात्मक शुल्क लगाया गया। इसके बाद 27 अगस्त से भारतीय सामानों पर कुल शुल्क दर बढ़कर 50% हो गई।